Homeएमपी चुनाव 2023Jabalpur News : केंट विधानसभा सीट में 30 साल से बीजेपी का...

Jabalpur News : केंट विधानसभा सीट में 30 साल से बीजेपी का डंका, अब कांग्रेस के जीत की आशंका।

  • जबलपुर केंट से कांग्रेस बड़ा दांव खेलने की तैयारी में
  • भाजपा भी बदल सकती है चेहरा

जबलपुर। आपको यह जानकर जरूर ताज्जुब होगा कि कांग्रेस जबलपुर केंट विधानसभा सीट पर जीत हासिल करने के लिए यदि किसी बड़े और चर्चित चेहरे को मैदान पर उतार सकती है तो भाजपा भी 30 साल से बने हुए अपने गढ़ को बचाने के लिए मौजूदा चेहरे को बदलने से परहेज़ नहीं करेगी। केंट क्षेत्र में जीत के लिए कांग्रेस पिछले 30 साल से प्रयासरत है और इस दौरान उसने कई चेहरे भी बदले मगर उसे हार ही मिलती रही है।उधर भाजपा की बात करें तो बेशक स्व.ईश्वरदास रोहाणी ने 1993,1998,2003 और 2008 में चार बार चुनाव जीतकर इस सीट को भाजपा का गढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके पुत्र अशोक रोहाणी ने भी 2013 तथा 2018 का चुनाव जीतकर इस गढ़ को बचाए रखा है किन्तु जिस तरह से इस क्षेत्र में भाजपा की जीत का अंतर कम होता जा रहा है,उसे देखते हुए लगता है कि 2023 के चुनाव में भाजपा को मशक्कत करनी पड़ सकती है।यही एक बड़ी वजह कि भाजपा को चेहरा बदलने पर विवश होना पड़ सकता है।

क्या लोगों की रोहाणी में रुचि कम हो रही है ?

केंट विधानसभा क्षेत्र के बारे में बारीकी से जानकारी रखने वाले रांझी निवासी डॉ.दयालचंद्र यादव बताते हैं कि स्व.ईश्वरदास रोहाणी के बाद उनके पुत्र अशोक रोहाणी के प्रति लोगों की रुचि में कमी आई है। 2013 में उन्हें सहानुभूति वोट मिले थे और 53 हजार की लीड मिली थी जो 2013 में आधी रह गई और अशोक रोहाणी को 2018 के चुनाव में 26 हजार वोटों की लीड ही मिल सकी थी। इससे पता चलता है कि मौजूदा विधायक अशोक रोहाणी भाजपा को चुनाव जितवाने में मजबूत प्रत्याशी साबित नहीं हो सकेंगे। माहौल बदलने के लिए भाजपा को केंडिडेट बदलना पड़ सकता है।

नगर निगम चुनाव के आंकड़े भी बीजेपी को खतरे की घंटी

जबलपुर केंट विधानसभा क्षेत्र में नगर निगम के 11 वार्ड हैं, जबकि शेष क्षेत्र छावनी परिषद यानी मिलिट्री एरिया-रहवासी इलाके में आता है। 11 वार्डों में 2022 में हुए नगर-निगम महापौर चुनाव में भाजपा केंडिडेट डॉ.जितेन्द्र जामदार को 42261 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस केंडिडेट जगत बहादुर सिंह ‘अन्नू’ को 36418 वोट मिले थे। यानी इन वार्डों में भाजपा की लीड सिर्फ 5,843 रही। 2018 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2022 आते-आते भाजपा की लीड अत्यधिक कम हुई है।उधर, छावनी परिषद के अंतर्गत आने वाले 9 वार्डों में कांग्रेस भाजपा को मात देती रही है,या बराबर की टक्कर देती रही है।

केंट विस क्षेत्र में नगर निगम में आने वाले 11 वार्डों में ही स्व.ईश्वरदास रोहाणी ने जमीन तैयार की थी, जिसमें बहुत कमी आई है। अशोक रोहाणी लगातार कम होती जा रही लीड पर नियंत्रण कर पाने में नाकाम होते दिख रहे हैं। संभवतः भाजपा नेतृत्व इसे ही आधार बनाकर अशोक रोहाणी की टिकट काट सकता है।

तो कांग्रेस से कौन दे सकता है चुनौती

बीजेपी के मजबूत कहे जाने वाले गढ़ जबलपुर केंट में कांग्रेस किस मजबूत और प्रभावशाली नेता को यहां से मैदान में उतार सकती है,यह बड़ा ही रोमांचकारी हो सकता है। चर्चाएं तो बहुत लोगों की हैं, लेकिन इस समय सर्वाधिक चर्चाओं में मेयर जगत बहादुर सिंह ‘अन्नू’ की अधिक है। वे नहीं तो फिर उनकी पत्नी यामिनी सिंह को भी मैदान में उतारा जा सकता है। जगत बहादुर सिंह’अन्नू’ ही भाजपा के इस गढ़ को ध्वस्त करने में कामयाब हो सकते हैं। हालांकि अन्य दावेदारों में पिछली बार के पराजित प्रत्याशी आलोक मिश्रा,केंट बोर्ड में उपाध्यक्ष रहे अभिषेक चौकसे ‘चिंटू’ और शिव यादव भी प्रयासरत हैं। लब्बोलुआब ये है कि इस बार दोनों ही पार्टियां यहां पर मजबूती के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में हैं।

क्षेत्र के अतीत पर एक नजर

जबलपुर केंट विधानसभा क्षेत्र 1967 में अस्तित्व में आई थी। तब से 1990 तक हुए 6 बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ही यहां से जीतती रही है। दो -दो बार क्रमशः बाबू मनमोहन दास, दिनेशचंद्र मिश्रा और बाबू चंन्द्रमोहन दास इस क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से चुनाव जीते हैं। बाद में यानी 1993 से 2008 के बीच हुए 4 चुनाव स्व.ईश्वरदास रोहाणी ने जीते और रोहाणी के निधनोपरांत 2013 तथा 2018 का चुनाव उनके पुत्र अशोक रोहाणी ने जीता है।

ये भी पढ़ें :- 

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments