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निशाने पर बिशप पीसी सिंह, 1.65 करोड़ व विदेशी मुद्रा मिली, धर्मांतरण के लिए उपयोग की आशंका

जबलपुर। जबलपुर में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की टीम ने नेपियर टाउन स्थित बिशप पी.सी सिंह जो कि “द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के चेयरमैन है” उनके निवास स्थान और कार्यालय पर एक साथ दबिश दी,जिसमे दस्तावेज़ों के साथ 1 करोड़ 65 लाख रुपए नगद भारतीय मुद्रा के साथ 18 हज़ार डालर विदेशी मुद्रा भी बरामद हुई है दरअसल ईओडब्ल्यू की टीम ने उन अपराधों से संबंधित दस्तावेजों की तलाशी शुरू कर दी है जिसमें बिशप पी.सी सिंह ने मूल सोसाइटी का नाम परिवर्तन करके उसके चेयरमैन बन गए और फिर पद का दुरुपयोग करते हुए सोसाइटी की विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं में प्राप्त होने वाली छात्रों की फीस की राशि का उपयोग धार्मिक संस्थानों के अलावा स्वयं के उपयोग में किया ईओडब्ल्यू एस.पी देवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि” द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नार्थ इंडिया” के चेयरमैन बिशप पी.सी सिंह और तत्कालीन असिस्टेंट रजिस्ट्रार बी.एस सोलंकी के खिलाफ शिकायत मिली थी कि उन्होंने स्कूलों से प्राप्त होने वाली राशि का जमकर दुरुपयोग किया है साल 2004-05 से 2011-12 के बीच लगभग 2 करोड़ 70 लाख रुपए की राशि धार्मिक संस्थाओं को ट्रांसफर कर इसका दुरुपयोग किया, वही खुद के लिए भी भारी भरकम राशि खर्च की। शिकायत की जांच डी.एस.पी मंजीत सिंह ने की और शिकायत सही पाने पर नेपियर टाउन स्थित बिशप पी.सी सिंह के निवास और कार्यालय में एक साथ दबिश दी गई। ईओडब्ल्यू की टीम ने द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के चेयरमैन पी.सी सिंह तत्कालीन असिस्टेंट रजिस्ट्रार फम्र्स एंड संस्थाएं बी.एस सोलंकी के खिलाफ भी धारा 406, 420, 468, 471, 120 बी के तहत मामला पंजीबद्ध कर जांच शुरू कर दी है ईओडब्ल्यू की टीम अब उन दस्तावेजों की जांच करते हुए पीसी सिंह के घर से भारी मात्रा में भारतीय और विदेशी मुद्रा जप्त कर उसकी गिनती की जा रही है जिसका खुलासा आने समय मे ईओडब्ल्यू कर सकती है।
इस बड़े मामले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी नजर है उन्होंने इस पूरे प्रकरण पर ईओडब्ल्यू टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि हम इसमें धर्मांतरण के एंगल से भी जांच करेंगे यह पैसा धर्मांतरण के उपयोग में तो नहीं आता था।
फिलहाल इस पूरे मामले की जांच ईओडब्ल्यू टीम तत्परता से कर रही है आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं साथ ही जिला प्रशासन भी इसमें अब जांच शुरू कर सकता है लेकिन जिस तरह से मामला निकल कर सामने आया उस से अब मिशनरी संस्थाएं सरकार के रडार पर आ गई है।

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