राजसी ठाठ बाट के साथ निकली बाबा महाकाल की 7वीं अंतिम शाही सवारी

उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल की शाही व अंतिम 7वीं सवारी राजसी ठाठ बाट के साथ मंदिर प्रांगण से ठीक शाम 4 बजे निकली। क्षिप्रा पर पूजन आरती अभिषेक के बाद दौबारा शाम 6 बजे सवारी मंदिर लौटी। क्षिप्रा के राम घाट पर पूजन अभषेक के दौरान परंपरा का निर्वहन करने पहुँचे केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 20 मिनट तक बाबा का पूजन अभषेक किया व आरती में शामिल हुए। सिंधिया ने बाबा महाकाल से जल्द कोविड संकट से मुक्ति के साथ विकास, प्रगति के साथ देश चले, सुख समृद्धि रहे कामना की। बाबा महाकाल ने शाही सवारी के दौरान भक्तो को मनमहेश व चंदमोलेश्वर रूप में दर्शन दिए। उज्जैन में एयरपोर्ट के सवाल पर सिंधिया ने कहा कि बोले धार्मिक नगरी में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पहले से स्त्तिथ हवाई पट्टी का विस्तारीकरण होगा।
मंदिर के पुजारी आशीष गुरु ने बताया कि आज बाबा महाकाल मनमहेश, उमा महेश, तांडव, चंदमोलेश्वर व अन्य रूप में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। कोविड गाइड लाइन का पालन करते हुए सभी की एक ही मनोकामना है कि जल्द आने वाली सवारी में भक्त और बाबा के बीच की दूरी समाप्त हो और हर एक सवारी का भव्य रूप हो सभी श्रद्धालू शामिल हो सके।
गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया
सवारी मार्ग में सर्वप्रथम बाबा महाकाल का मंदिर प्रांगण में सवारी के निकलने के पूर्व सभामंडप में पूजन-अर्चन शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा द्वारा संपन्न कराया गया। सर्व प्रथम भगवान श्री महाकालेश्वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन किया गया, इसके पश्चात भगवान की आरती की गई। इस अवसर पर पूजन में कलेक्टर आशीष सिंह, पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र कुमार शुक्ल, मंदिर प्रशासक व एडीएम नरेंद्र सुर्यवंशी शामिल हुए, पूजन के पश्चात पालकी को कंधा देकर कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने आगे बढ़ाया, जिसके बाद मंदिर के मुख्य द्वार पर बाबा को शासकिय सम्मान गार्ड ऑफ ओनर दिया गया।
सवारी मार्ग में साज सज्जा देखते ही बनी
मंदिर के मुख्य द्वार से क्षिप्रा तट तक सांस्कृतिक कला कही जाने वाली भव्य रंगलोगी बनाई गई, सवारी मार्ग को रेड कारपेट बिछाया गया और रंगबिरंगे झंडे लगाए गए,आतिशबाजीयां आगे आगे की गई। आर्टिफिशियल रंग गुलाल उड़ाए गए। घुड़सवार भी रहे। महाकालेश्वर मन्दिर से सवारी हरसिद्धि मन्दिर के सामने से होकर नृसिंह घाट पर झालरिया मठ होते हुए रामघाट पहुंची। रामघाट पर पहुंचने के पश्चात भगवान महाकालेश्वर का मां क्षिप्रा के पवित्र जल से विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। इसके बाद भगवान का विधि-विधान से पूजन व आरती की गई, आरती के पश्चात भगवान महाकालेश्वर की सवारी परिवर्तित मार्ग से होती हुई हरसिद्धि मन्दिर मार्ग पहुंची, जहां हरसिद्धि मन्दिर आगमन पर मन्दिर के पुजारियों द्वारा भगवान महाकालेश्वर की आरती की गई।

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