आचार्य श्री विद्यासागर महाराज की शिष्या आर्यिका मां 105 विज्ञान मति माता जी का ससंघ का मंगल प्रवेश

घुवारा। प्रात: काल बेला की शुभ मंगलमई घड़ी में परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर की महाराज की शिष्या आर्यिका मां 105 विज्ञान मति माता जी ससंघ के साथ गाजे-बाजे के साथ नगर में भव्य मंगल प्रवेश किया। सभी श्रद्धालुओं ने अपने घर के सामने रंगोली सजाकर के साथ-साथ में आरती उतारी। रेवती रानी महिला मंडल और जैन जागृति महिला मंडल, बालिका मंडल एवं बाल युवा मंडल आदि समस्त सकल दिगंबर जैन समाज ने धूम धाम से माता जी की भव्य अगवानी की। इसके पश्चात मंदिर जी में प्रवेश किया जिसमें सबसे पहले मूलनायक 1008 श्री शीतलनाथ भगवान के दर्शन किए।
उसके बाद माताजी ने अपनी मंगल देशना में बताया कि मनुष्य के जीवन में दो तरह की सोच चलती है सकारात्मक और नकारात्मक जिसमे हमें अपने अंतरंग ने सकारात्मक को धारण करना चाहिए। कभी भी अपने जीवन में किसी से बैर नहीं बांधना चाहिए सब से आपस में मिलकर के रहना चाहिए। जिस प्रकार से विजयादशमी को विजय को मानते हुए इसी प्रकार से हमे भी अपने जीवन में और दूसरों के प्रति यही भाव को सकारात्मकता के साथ में रखना चाहिए, जिसमें संचालन मनोज कुमार जैन शास्त्री इसके बाद मंगलाचरण किया गया जिसमें कुमारी प्रतीक्षा जैन के माध्यम से संपन्न किया गया।

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