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सीहोर के मरीह माता मंदिर में नवमीं पर विशाल भंडारे का आयोजन, भक्तों ने कई व्यंजनों का लगाया भोग

सीहोर के चौसट योगिनी मरीह माता मंदिर में भंडारे का प्रसाद ग्रहण करने के लिए भक्तों की भीड़ जुटी रही। इसमें महिलाओं की संख्या भी काफी अधिक रही। भंडारा देर शाम तक चला। भक्तों ने मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की और जयकारे लगाए। इस दौरान पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया था। मंदिर परिसर में करीब 10 क्विंटल आटे से पुरी, दो क्विंटल नुक्ति, तीन क्विंटल खीर की प्रसादी का मां को भोग लगाया गया था और उसके बाद भोजन प्रसादी का वितरण देर शाम तक जारी रहा।
सोमवार सुबह सात बजे मंदिर के व्यवस्थापक गोविंद मेवाड़ा, रोहित मेवाड़ा, पंडित उमेश दूबे, ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा, जितेंद्र तिवारी, मनोज दीक्षित मामा, सुनील चौकसे, रामेश्वर सोनी, सुभाष कुशवाहा और रितेश अग्रवाल आदि ने शारदीय नवरात्रि पर जारी शतचंडी यज्ञ में आहुतियां दी। इसके अलावा यहां पर आने वाले देवी के साधकों ने दुर्गा सप्तशती का पाठ किया और महाआरती के पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया गया।
वहीं देर रात्रि को महाष्टमी के पावन अवसर पर महानिशा की आरती की गई थी। रात्रि दो बजे तक भक्त मंदिर परिसर में मौजूद रहे। इसके पश्चात धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन सोमवार सुबह पांच बजे से देवी के श्लोकों के साथ शुरू हुआ, जो देर रात्रि तक जारी रहा।
यज्ञाचार्य पंडित दुबे ने बताया कि नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट है कि मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं। शास्त्रों के अनुसार, महादेव ने भी माता सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर इनसे सभी आठ सिद्धियां प्राप्त की थीं। इन्हीं देवी की कृपा से ही महादेव की आधी देह देवी की हो गई थी और वे अर्धनारीश्वर कहलाए थे। नवरात्र के नौवें दिन इनकी पूजा के बाद ही नवरात्र का समापन माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व नामक आठ सिद्धियां हैं। ये सभी सिद्धियां मां सिद्धिदात्री की आराधना से प्राप्त की जा सकती हैं। हनुमान चालीसा में भी अष्टसिद्धि नव निधि के दाता कहा गया है। सामान्य रूप से मां सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर आसीन होती हैं, हालांकि इनका भी वाहन सिंह है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनकी दाहिनी ओर की पहली भुजा में गदा और दूसरी भुजा में चक्र है। बांई ओर की भुजाओं में कमल और शंख है।

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