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Navratri 2023: तालाब के पास से निकली थी देवी प्रतिमा, बंजारे को दिया था स्वप्न, खेरमाई के नाम से है प्रचलित

दमोह जिला मुख्यालय से 21 किमी दूर ग्राम हिनौती में प्राचीन खेरमाई का दरबार है जहां नवरात्र के नौ दिनों में आस्था का मेला भरेगा। मान्यता है कि सच्चे मन से प्रार्थना करने पर माता अपने सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। बुजुर्गों ने बताया कि पहले गांव की बसाहट से दूर खेतों में तालाब के पास माता की प्रतिमा जमीन में पड़ी हुई थी और पहले वहां बंजारे आकर रहते थे।किसी भी बंजारे के संतान नहीं थी। बैलगाड़ी से आकर ठहरते थे।

एक बार बंजारे के मुखिया को माता ने स्वप्न में कहा कि पहाड़ी के पास तालाब के घाट के पास एक पत्थर के नीचे मैं विराजमान हूं मुझे बाहर निकालाे। स्वप्न के बाद जब बंजारे ने घाट पर जाकर वहां रखे एक पत्थर को सीधा किया तो मां की प्रतिमा नीचे विराजमान थी। जिन्हें सभी बंजारों ने मिलकर बाहर निकला। इसके बाद मां की प्रतिमा को उठाकर केमा के पेड़ के नीचे स्थापित कर दिया।

मां ने बंजारे की कामना पूर्ण करते हुए उसकी पत्नी की गोद संतान से भर दी। समय बीतता गया बंजारे भी अपने ग्रह जिले गांव चले गए। जब हिनौती गांव के लोगों ने बंजारों के जाने के बाद माता का पूजन नहीं किया तो माता का कोप सहना पड़ा। गांव में रहने वाले सभी लोगों को माता निकल आईं और शरीर पर निशान होने लगे जिससे गांव वीरान हो गया। जो लोग गांव से बाहर चले गए वह बच गए।

इसके बाद माता ने पिपरिया गांव में एक व्यक्ति को सपना दिया। जिसके बाद पिपरिया गांव के ठाकुर परिवार के लोग वहां जाकर माता को पूजने लगा। इसके बाद बम्होरी गांव के भक्त ने छोटी सी मड़िया बनवाई। इसी दौरान पुरानी पट्टी वाले बाबा माता की सेवा करने लगे। जिससे दूर-दूर के ग्रामीण माता के दरबार में आने लगे।

35 साल पहले कराया था मंदिर का निर्माण

स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले माता रानी एक पेड़ के नीचे चबूतरा पर विराजमान थीं। उसके बाद मंदिर का निर्माण करीब 35 साल पहले कराया गया था। इस मंदिर में खेर माता की प्रतिमा स्थापित है। जिसमें खेर माता की मूर्ति बहुत ही सुंदर रूप में विराजमान है। मां खेर माता का दरबार अति प्राचीन होने के साथ-साथ चमत्कारी स्थान भी है। जहां पर लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं और मां आशीर्वाद स्वरुप अपने भक्तों की समस्याएं, दुख, दर्द का निराकरण करती हैं।

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