Homeजबलपुरविश्व की दूसरी विशालकाय केसरिया धर्मध्वजा इस पावन तट पर स्थापित होगी

विश्व की दूसरी विशालकाय केसरिया धर्मध्वजा इस पावन तट पर स्थापित होगी

  • हिन्दू नववर्ष पर केसरिया रंग में रँगेगी संस्कारधानी, वात्सल्य सेवा धाम ने किया भूमिपूजन

जबलपुर। मध्य प्रदेश की पहली और विश्व की दूसरी विशालकाय केसरिया धर्मध्वजा स्थापित होने जा रही है। 121 फीट ऊंची धर्म ध्वजा 22 मार्च को हिंदू नववर्ष पर स्थापित की जाएगी। विशालकाय धर्म ध्वजा की स्थापना के लिए मां नर्मदा तट के सिद्ध घाट पर शास्त्रीय विधि विधान से वात्सल्य सेवा धाम शिष्य मंडल के युवा संत गुरु अभिषेक सिंह ने श्रद्धालुओं की मौजूदगी में भूमिपूजन किया। उन्होंने बताया कि विश्व की पहली धर्म ध्वजा मुंबई में स्थापित है जिसकी ऊंचाई 243 फीट है। इस अवसर पर पूर्व भाजयुमो प्रदेशाध्यक्ष अभिलाष पाण्डे भी मौजूद रहे। बताया गया कि साथ ही शहर विकास के संकल्प के साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार को दोहराया। वात्सल्य सेवा धाम द्वारा ग्वारीघाट स्थित सिद्ध घाट पर यह आयोजन अखंड और समर्थ भारत के साथ ही शहर विकास के संकल्प को लेकर किया गया।
वात्सल्य सेवा धाम के युवा संत गुरु अभिषेक ने बताया कि यह धर्म ध्वजा 22 मार्च को हिंदू नव वर्ष पर भव्यता के साथ स्थापित की जाएगी। कार्यक्रम में करौंदी स्थित महर्षि आश्रम से तकरीबन दो हजार बटुक आएंगे जो कार्यक्रम के दौरान एक साथ स्वस्तिवाचन और शंखनाद करेंगे।
51 मंडलिया करेंगी सुंदरकांड
पुण्य सलिला मां नर्मदा तट पर केसरिया महोत्सव के तहत की जा रही धर्म ध्वजा की स्थापना के दौरान 51 धर्म मंडलियों द्वारा सुंदरकांड पाठ किया जाएगा।
नर्मदा तट पर बजेंगे नागपुर के ताशा ढोल
कार्यक्रम के दौरान नागपुर के सुप्रसिद्ध ताशा ढोल अपनी शानदार प्रस्तुति देंगे। बताया गया कि 2 लाख केसरिया ध्वजों से शहर केसरिया रंग से रंग जाएगा। केसरिया ध्वज केसरिया महोत्सव को भव्यता प्रदान करने वात्सल्य सेवा धाम शिक्षा मंडल द्वारा घर-घर जाकर पीले चावल और केसरिया ध्वज वितरित किया जाएगा। इसके साथ ही शहर के कोने-कोने में केसरिया धर्म ध्वजा लगाई जाएगी जिससे महोत्सव के दौरान पूरी संस्कार धानी केसरिया रंग में रंगी नजर आएगी।
ज्ञान और कर्मठता का प्रतीक है केसरिया रंग


उन्होंने बताया कि भगवा रंग उगते हुए सूर्य के समान है जो कि ज्ञान और कर्मठता का प्रतीक है। भगवा ध्वज यज्ञ की ज्वाला के अनुरूप होने के कारण त्याग, समर्पण, जन कल्याण की भावना, तप, साधना आदि का आदर्श रखता है। यह समाज हित में सर्वस्व अर्पण करने का प्रतीक है। स्वामी रामतीर्थ भगवा रंग के बारे में कहते हैं- “एक दृष्टि से मृत्यु तथा दूसरी दृष्टि से जन्म ऐसा दोहरा उद्देश्य यह रंग पूरा करता है। भगवा ध्वज का सतयुग से कलयुग का संपूर्ण इतिहास देखने के बाद यह ध्यान में आता है कि हिंदू समाज और भगवा ध्वज एक-दूसरे से अलग करना संभव नहीं है। हिंदू राष्ट्र, हिंदू समाज, हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति, हिंदू जीवन पद्धति, हिंदू तत्व ज्ञान, इन सबका भगवा ध्वज से अटूट नाता है। त्याग, वैराग्य, निःस्वार्थ वृत्ति, शौर्य, देश प्रेम ऐसे सब गुणों की प्रेरणा देने का सामर्थ्य भगवा ध्वज में है।

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