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हवन में आहुतियां डालते समय क्यों कहते हैं स्वाहा.. पढ़ें क्या है वैज्ञानिक महत्व

जबलपुर। सनातन धर्म में कई तरह के धार्मिक अनुष्ठानों के बारे में बताया है, जिनमें हवन और यज्ञ का विशेष महत्व है। नया घर हो, नया बिजनेज या फिर शादी-ब्याह जैसा कार्यक्रम में हवन और यज्ञ होता ही है। अक्सर आपने देखा-सुना होगा कि हवन चाहे किसी भी पूर्ति के लिए किया जाए, जब उसमें आहुतियां डाली जाती हैं तो स्वाहा शब्द का उच्चारण किया जाता है। मगर क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों हवन या यज्ञ आदि के दौरान स्वाहा शब्द दोहराया जाता है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार असल में स्वाहा अग्नि देवी की पत्नी हैं। इसी कारण हवन के दौरान मंत्र जप के बाद इनके नाम का उच्चारण किया जाता है। माना जाता है कि स्वाहा का अर्थ सही रीति से पहुंचाना होता है। धर्म शास्त्री बताते हैं कि श्रीमद्भागवत गीता व शिव पुराण में इनसे संबंधित काफी उल्लेख पढऩे और सुनने को मिलते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार मंत्र पाठ करते हुए स्वाहा कहकर हवन सामग्री भगवान को अर्पित किए जाने का विधान है।
कहा जाता है अग्नि के द्वारा ही स्वाहा में माध्यम से हवन देवताओं को अर्पण किया जाता है। हवन से जुड़ी कथाओं के अनुसार, स्वाहा दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं जिनका विवाह अग्निदेव के साथ हुआ था। कहा जाता है अग्निदेव केवल अपनी पत्नी स्वाहा के माध्यम से ही हवन ग्रहण करते हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक अग्निदेव की पत्नी स्वाहा के पादक, पदमान और शुचि नामक तीन पुत्र हुए। स्वाहा की उत्पत्ति से एक और रोचक कहानी है कि स्वाहा प्रकृति की ही एक कला थी, जिसका विवाह अग्नि के साथ देवताओं के आग्रह पर हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वाहा को वरदान दिया था कि उन्हीं के माध्यम से देवता हविष्य को ग्रहण कर पाएंगे।
हवन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसका उल्लेख रामायण और महाभारत में भी किया गया है। अग्नि के जरिए ईश्वर की उपासना करने की विधि हवन या यज्ञ कहलाती है। कहा जाता है कि हवन करने से हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। पूजा के बाद हवन आज भी उतना ही शुभ फलदायी माना गया है, जितना पहले माना जाता था।
हिंदू धर्म में हवन को शुद्धिकरण माना गया है। पूजा-पाठ समेत कोई भी धार्मिक कार्य हवन के बिना अधूरा है। इसके जरिए आसपास की नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आत्माओं के प्रभाव को खत्म किया जाता है। ग्रह दोष से पीडि़त व्यक्ति को ग्रह शांति के लिए हवन करने की सलाह दी जाती है। शुभ कार्य जैसे भूमि पूजन या भवन निर्माण, पूजा-पाठ, कथा और विवाह आदि कार्यक्रम में हवन कराया जाता है। हवन से वास्तु दोष भी दूर होते हैं।
जानकारों का कहना है कि हवन का धार्मिक महत्व के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है। हवन से जो धुआं निकलता है उससे वायुमंडल शुद्ध होता है। हवन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री सेहत के लिए अत्यंत फायदेमंद होती है। हवन करने से कई प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है, क्योंकि इसमें लगभग 94 प्रतिशत हानिकारक जीवाणु नष्ट करने की क्षमता होती है।

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