Homeएमपी चुनाव 2023मालवा-निमाड़ को लेकर क्यों घबराई हुई है बीजेपी ?

मालवा-निमाड़ को लेकर क्यों घबराई हुई है बीजेपी ?

  • आरएसएस के फीडबैक के बाद केन्द्रीय नेतृत्व एक्शन मोड़ पर
  • एमपी की एक चौथाई विधानसभा सीटें इसी क्षेत्र से आती है। 

भोपाल। एमपी का मालवा-निमाड़ रीजन बेशक सीटों के हिसाब से भाजपा की हौंसला अफजाई कर रहा हो लेकिन आने वाले चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन यहां कैसा रहने वाला है,इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। विशेष रूप से एक महीने पहले आरएसएस द्वारा लिया गया फीडबैक भाजपा नेतृत्व की चिंता बढ़ाने वाला है। भाजपा और आरएसएस की टेंशन कितनी बड़ी है,इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि संघ के सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य को गोपनीय ढ़ंग से इंदौर की यात्रा करनी पड़ी और संघ के खास कार्यकर्त्ताओं तथा भाजपा के कुछ पुराने कार्यकर्त्ताओं संग विचार विमर्श करने को विवश होना पड़ा। संघ के एक्टिव मोड़ में आने के बाद भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह एमपी का लगातार दौरा कर रहे हैं। मंगलवार को भी वे भोपाल बीजेपी स्टेट आफिस में पार्टी पदाधिकारियों से मंत्रणा कर रहे हैं। एमपी के नए भाजपा प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी सोमवार को इंदौर में थे। संघ और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व किसी भी कीमत में स्थिति को अपने हाथों से नहीं निकलने देना चाहता है।

2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जीती थीं सर्वाधिक सीटें

मालवा-निमाड़ रीजन के 15 जिलों की कुछ 66 सीटें हैं, जिनमें से कांग्रेस ने 35 सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा को 28 सीटें मिल सकी थीं। हालांकि 2020 में सत्ता परिवर्तन के खेल के बाद भाजपा की सीटें 33 हो गई थीं। कांग्रेस के पास अब 30 सीटें तथा 3 निर्दलीय हैं।

2013 में बीजेपी ने कर दिया था कमाल

उधर, मालवा-निमाड़ क्षेत्र में 2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा ने कमाल कर दिया था। 64 सीटों के मुकाबले भाजपा ने 57 सीटें जीती थीं। कांग्रेस सिर्फ 9 सीटें लेकर ही सिमटकर रह गई थी। यही वजह रही कि 2018 में कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन करके सभी को चौंका दिया था।

आदिवासी सीटें भी रखतीं हैं मायने

मध्यप्रदेश विधानसभा में आदिवासी अर्थात अनुसूचित ‌जनजाति वर्ग के लिए 47 सीटें हैं जिनमें से सर्वाधिक रिजर्व 22 सीटें इसी रीजन से हैं। यही बड़ी वजह है कि दोनों ही प्रमुख दल यहां पूरी ताकत झोंक देते हैं।पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 14 और भाजपा ने 7 सीटें जीती थीं।

सर्वाधिक मंत्री भी यहीं से

ऐसा नहीं है कि भाजपा ने संगठनात्मक और केबिनेट में मंत्री बनाने के स्तर पर मालवा-निमाड़ क्षेत्र में कंजूसी से काम लिया हो। इस रीजन से कुल 10 मंत्रियों की भारी भरकम फौज है। कैलाश विजयवर्गीय राष्ट्रीय महासचिव हैं और इंदौर से ही आते हैं। फिर भी रीजन में भाजपा के खिलाफ फीडबैक चौंकाने वाला है

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