Homeमध्यप्रदेशकिसकी मनेगी दीवाली.. किसका निकलेगा दीवाला.. धनतेरस के दिन पता चलेगा

किसकी मनेगी दीवाली.. किसका निकलेगा दीवाला.. धनतेरस के दिन पता चलेगा

भोपाल। नवरात्रि के साथ ही दशहरा का त्यौहार लोग मना चुके हैं। अब लोग दीवाली की तैयारी में जुटे हैं। कोरोना खामोश है, तो जाहिर है कि दीवाली भी धूमधाम से मनेगी। लेकिन सत्ता के गलियारों में भी तैयारी तेज है। प्रयास है कि यह दीवाली जीत वाली हो, धूमधड़ाके वाली हो। प्रदेश में खंडवा लोकसभा सीट के साथ ही पृथ्वीपुर, रैगांव और जोबट विधानसभा में उपचुनाव का प्रयास जोर पकड़ चुका है। 30 अक्टूबर को मतदान होगा और ठीक दो दिन बाद यानि कि 2 नवंबर को रिजल्ट आ जाएंगे। यानि कि धनतेरस के दिन किसकी झोली वोटों से भरेगी, यह पता चल जाएगा। बहरहाल जिस पार्टी को जीत मिली, उसकी दीवाली होगी और जो हारा, उसे अगले मौके का इंतजार होगा। 4 नवंबर को दीवाली कांग्रेस और भाजपा के लिए या तो खास होगी या फिर फीकी होगी।
न सत्ता जाएगी, न सत्ता मिलेगी
इन उपचुनाव में न तो प्रदेश में भाजपा की सत्ता जाने वाली है और न ही कांग्रेस सत्ता में वापसी करने वाली है। लेकिन 2023 के पहले जो भी जीता उसके हौसले सातवें आसमान पर होंगे। जाहिर है पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी इन चुनावों को गंभीरता से ले रहे हैं। वहीं शिवराज सिंह चौहान तो काफी पहले से जी-जान से प्रचार और यात्राओं में जुट चुके हैं। शिवराज की मेहनत देखकर इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि ये चुनाव उनके लिए कितने अहम हैं। जनआशीर्वाद यात्रा निकालने के साथ ही वे हर विधानसभा क्षेत्र का तूफानी दौरा कर चुके हैं। सतना के रैगांव में ही वे 3-4 बार आ चुके हैं। खंडवा में भी उनकी सभाएं हर क्षेत्र में हो रही हैं। वहीं कमलनाथ के चुनाव प्रचार का आगाज हो चुका है। ऐसे में देखना होगाा कि कौन किस पर भारी पडऩे वाला है।
नेताओं का भविष्य तय होगा..?
शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री चुने गए हैं। वैसे तो पार्टी में उनके लिए चुनौती ज्यादा नहीं है। लेकिन सरकार बनाने के पहले जिस तरह डॉ. नरोत्तम मिश्रा का नाम उछला था, उससे लगता है कि चुनौती तो है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर शिवराज के नेतृत्व में इन उपचुनावों में भाजपा अच्छा प्रदर्शन करती है, तो 2023 की राह शिवराज के लिए आसान हो जाएगी। लेकिन अगर भाजपा अच्छा नहीं कर पाई तो उथल-पुथल संभव है। कुछ ऐसा ही कमलनाथ के साथ भी है। अगर इन चुनावों में कांग्रेस अच्छा करती है, तो 2023 के लिए उसका मनोबल बढ़ जाएगा। लेकिन अगर कांग्रेस पिछड़ी तो कमलनाथ के नेतृत्व पर सवाल उठेंगे। संभव है कि प्रदेश अध्यक्ष बदलने की मांग उठे और युवा नेतृत्व को कमान सौंपने की आवाज उठने लगे। बहरहाल उपचुनावों के नतीजे भविष्य का ट्रेंड जरूर सेट कर जाएंगे।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments