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स्कूल खोलने में क्या हो गई जल्दबाजी, वैक्सीन अभी लगी नहीं.. बच्चों के बैड भी बढ़ा रही सरकार

विशेषज्ञों का मत-हालात बिगड़े तो कैसे संभालेगी सरकार, तीसरी लहर का खतरा अभी टला नहीं
जबलपुर। देश के कई राज्यों में स्कूल खोल दिए गए हैं। साथ ही कॉलेज खोलने की तैयारी भी है। मध्यप्रदेश में 1 सितंबर से 6वीं से लेकर 8वीं तक के स्कूल भी खुल जाएंगे। कई राज्यों में जहां संक्रमण की दर कम है, वहां स्कूल खोले जा रहे हैं। लेकिन क्या वाकई तीसरी लहर का खतरा टल गया है। क्या तीसरी लहर का बच्चों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा..? आशंका तो यही है कि तीसरी लहर में बच्चे बड़ी संख्या में प्रभावित हो सकते हैं। अमेरिका का ही उदाहरण देखें तो यहां 7 दिन में करीब 1.80 लाख बच्चे कोरोना संक्रमण का शिकार हुए हैं। ऐसे में वहां हालात भयावह हैं। लेकिन भारत में लगता है कि इसकी चिंता कम है। एक ओर बच्चों के लिए एक वैक्सीन को मंजूरी मिल गई और एक वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। बच्चों को वैक्सीन कब से लगने लगेगी, यह अभी तय नहीं हो पाया है। हां, यह तय जरूर हो गया है कि स्कूल-कॉलेज खोले जाएंगे। ऐसे में अगर हालात बिगड़े तो संभालना मुश्किल हो जाएगा। इसी बात की चिंता अभिभावकों के साथ-साथ विशेषज्ञों को भी है। जानकार मानते हैं कि स्कूल खोलने में संभवत: जल्दबाजी हो गई है। अभी 2-3 माह और इंतजार कर लेते तो बेहतर होता।
बच्चों के बैड रिजर्व रखने की तैयारी
प्रदेश में बच्चों के लिए बैड आरक्षित करने की कवायद बहुत पहले से हो रही है। कई शहरों के अस्पतालों में बच्चों के बैड रिजर्व किए जा रहे हैं। कोशिश यह है कि अगर बच्चे संक्रमित हुए तो उनके साथ माता-पिता को रखने की तैयारी की जा सके। इसी वजह से प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार स्कूल स्टाफ के साथ ही बच्चों के माता-पिता को वैक्सीन लगाने के प्रयास कर चुकी है।
डॉ. त्रेहान कर चुके सचेत, खतरा टला नहीं
देश के जाने-माने डॉक्टर और मेदांता ग्रुप के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहान बच्चों को लेकर सचेत कर चुके हैं। उनका कहना है कि देश में अभी तक बच्चों का टीकाकरण शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में अगर बड़ी संख्या में बच्चे बीमार पड़ जाते हैं, तो उनकी देखभाल के लिए अच्छी सुविधाएं हमारे पास नहीं हैं। देश की जनसंख्या के आकार को देखते हुए सतर्क रहना चाहिए था। स्कूलों को फिर से खोलने पर उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या हमें अभी और कुछ महीनों के लिए धैर्य नहीं रखना चाहिए। तीसरी लहर का खतरा अभी टला नहीं है। पहले बच्चों की वैक्सीन को बाजार में आने देते और बच्चों का टीकाकरण करवाते। इसके बाद ही स्कूल खोलने का निर्णय लिया जाता। उन्होंने सवाल उठाया कि हम क्यों स्कूल खोलने की जल्दी में हैं। यह देखने वाली बात होगी कि किन परिस्थितियों में स्कूल फिर से खुलते हैं और क्या स्थिति बनती है। उन्होंने साफ कहा कि तीसरी आना तय है, इसे रोका नहीं जा सकता। हां, तीसरी लहर को कम जरूर किया जा सकता है।

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