दिल्ली। हिंदु धर्म में पूजन का खास महत्व है। सभी के घर में पूजाघर या मंदिर होता ही है। मान्यता है कि ईश्वर का वास धरती के कण- कण में होता है। भगवान को मूर्ति रूप में पूजने के पीछे आध्यात्मिक ही नहीं वैज्ञानिक महत्व भी है। जब हम भगवान को पूजते हैं तो हमारा मन और मष्तिस्क उनके लिए समर्पित हो जाता है। जब भी उस मूर्ति गिर जाती है, तो हमें बेहद दुख होता है। माना जाता है कि घर में नित्य पूजा करने से खुशहाली आती है और नकारात्कता दूर होती है। घर के मंदिर की दिशा और दशा ठीक हो तो बिगड़े काम भी बन जाते हैं। आईए जानते हैं वास्तु शास्त्र के अनुसार कौन सी मूर्तियों को पूजाघर में नहीं रखना चाहिए और घर के मंदिर की दिशा कौन सी होनी चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
- पूजाघर हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए। टूटा- फूटा सामान नहीं रखना चाहिए। हमेशा दीपक जलाना चाहिए। शाम को तो जरूर जलाना चाहिए। मंदिर को कभी बिना स्नान के नहीं छूना चाहिए।
- गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है। पूजाघर में गणेश जी की एक ही मूर्ति जरूर रखनी चाहिए। गणेश जी को मां लक्ष्मी के बायीं ओर रखना चाहिए। मां लक्ष्मी को सरस्वती जी के दायीं ओर स्थापित करना चाहिए।
- गणेश जी प्लास्टर ऑफ पेरिस और नांचते हुए मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। गणेश जी की विराजे हुए मूर्ति ही रखनी चाहिए। आशीर्वाद देते हुए मूर्ति अच्छी मानी जाती है।
- जहां मां लक्ष्मी का वास होता है, वहां कभी दरिद्रता नहीं आती। मां लक्ष्मी की मूर्ति सदैव की बैठी हुई अवस्था में होनी चाहिए। पूजाघर में कभी भी खड़ी हुई मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। अगर आप मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की भी मूर्ति रखते हैं, तो वह बेहद शुभ होता है।
- पूजा घर में हनुमान जी की मूर्ति भी रखनी चाहिए। हनुमान जी संकटों का नाश करने वाले हैं। साथ ही गृहक्लेश का नाश होता है। इसलिए हनुमानजी की बैठी हुई मूर्ति घर में जरूर रखनी चाहिए।
- परिवार में क्लेश है तो पूजा स्थल में राम दरबार की मूर्ति जरूर रखें। इसे पूजा घर में रहने से सुख-शांति बनी रहती है।
- पूजा स्थल में शिवलिंग जरूर रखना चाहिए। लेकिन शिवलिंग ज्यादा बड़ा नहीं रखना चाहिए। नित्य जल शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
- पूजा घर में मृत परिजनों की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए और न ही उनकी तस्वीर की रोज पूजा करनी चाहिए। मृत परिजनों की पूजा केवल पितृपक्ष में करनी चाहिए।
- पूजा घर में कभी राहु- केतु, शनि देव और काली माता की मूर्ति भी नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि ये सभी देवता उग्र श्रेणी में आते हैं और इनकी पूजा करना बेहद कठिन होता है। इनकी मूर्ति रखने से बचना चाहिए।