Homeएमपी चुनाव 2023'शिव' की घोषणाएं हजार, पूरी करने को बचे महीने भर

‘शिव’ की घोषणाएं हजार, पूरी करने को बचे महीने भर

  • 3 साल में 2,387 घोषणाएं,1,188 अभी भी हैं अधूरी
  • आचार संहिता अगले महीने के अंत में लागू होने की संभावना

भोपाल। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव को अब ज्यादा समय शेष नहीं है। नियमानुसार चुनाव होने के लगभग डेढ़ महीने पहले से आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाती है। इसके साथ ही सभी प्रकार के कामकाज पर रोक लग जाती है। नतीजतन राज्य सरकार के पास इस हिसाब से लगभग डेढ़ महीने ही बचे हैं, जिनमें वह नई घोषणाएं और पूरानी घोषणाओं को पूरा करने का प्रयास कर सकती है। डेढ़ महीने के समय में से कार्य-दिवस महज एक महीना ही हैं जिनमें शिवराज सरकार कामकाज को अंजाम दे सकती है।मगर 3 वर्षों में की गई 2000 से अधिक घोषणाओं पर अमल करना नामुमकिन सा लग रहा है। घोषणाएं पूरी न होने का मतलब है कि विरोधी राजनैतिक दल कांग्रेस को बड़ा मुद्दा थाली में परोसकर प्रदान करना।

कितनी घोषणाएं कीं और कितनों पर हुआ है अब-तक अमल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने मौजूदा तीन साला कार्यकाल में जो 2,387 घोषणाएं की हैं, उनमें से सिर्फ 1,199 घोषणाएं ही अभी तक पूरी की जा चुकी हैं,जबकि 1,188 अभी भी अधूरी हैं। सीएम की इन घोषणाओं में ऐसी कई घोषणाएं हैं जिनपर अमल नहीं हुआ तो आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।

कुछ तो केन्द्र की दम पर की गई थीं

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च 2020 को पदभार ग्रहण किया था। तब से अब तक के कार्यकाल में की गई घोषणाओं पर अमल हो जाना था। मगर सीएम की कथनी और करनी पर अब कांग्रेस तथा अन्य राजनैतिक दल सवाल खड़े कर सकते हैं। विभागवार घोषणाओं की यहां बात करें तो नगरीय क्षेत्रों के संयंत्र पर मुख्यमंत्री ने 3 वर्ष में कुल 425 घोषणाएं कीं मगर उनमें से महज 215 ही पूरी कर पाए हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित 285 घोषणाएं की गईं,जिनके मुकाबले 158 ही पर अमल किया गया है। यही आलम लोकनिर्माण विभाग से संबंधित योजनाओं का भी है। शिवराज ने सड़क, पुल, पुलियाओं आदि की लगभग 162 घोषणाएं की थीं, जिनमें से 54 घोषणाओं को ही पूरा किया जा सका है। इन घोषणाओं में से कुछ केन्द्र सरकार से संबंधित हैं।

सवाल तो खड़े होंगे ही

सोचिए,जिन इलाकों में सीएम ने ये घोषणाएं कभी की होंगी तो वहां के लोग पूरी उम्मीद लगाए रहे होंगे कि उनके क्षेत्र को सौगात मिलेगी। ऐसे में यह स्वाभाविक है कि बीजेपी को संबंधित पब्लिक की नाराज़गी को झेलने यह के लिए तैयार रहना होगा।

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