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राष्ट्रपति ने कहा-आज का दिन सबके लिए मंगलमय, शिवराज बोले-मप्र की धरती पर नहीं चलने देंगे कुचक्र

शहडोल। जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु पहली बार मप्र की धरती पर जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर शहडोल आईं। राष्ट्रपति ने कहा कि आज का दिन मंगलवार हम सभी के लिए मंगलमय हो गया। उन्होंने आदिवासियों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं की सराहना की। इस अवसर पर पेसा एक्ट भी लागू किया गया। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पेसा कानून की प्रति राष्ट्रपति को भेंट की। शिवराज ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि गांव में मनरेगा और अन्य कामों के लिए धन आता है, इससे कौन सा काम किया जाएगा, इसे भी ग्राम सभा तय करेगी। अब आपके गांव से अगर काम के लिए कोई बाहर ले जाएगा तो उसे पहले ग्रामसभा को बताना पड़ेगा कि ले जाना वाला कौन है और कहां ले जा रहा है।
सीएम ने कहा कि महुआ का फूल, महुए की गुल्ली, अचार की चिरौंजी, हर्रा, बहेड़ा, आंवला ये वनोपज होती है। पेसा के नए नियम तय करते हैं कि ग्राम सभा अब वनोपज का संग्रहण करेगी और इसका मूल्य भी तय कर सकेगी।वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य अब ग्रामसभा तय करेगी। अब ग्रामसभा की सहमति के बिना किसी भी प्रोजेक्ट के लिए किसी की जमीन नहीं ली जाएगी। छल-कपट कर बेटी से शादी कर जमीन हड़पने का काम मध्यप्रदेश की धरती पर हम नहीं होंगे देंगे। शिवराज ने कहा कि मध्यप्रदेश की धरती में हम धर्मांतरण का कुचक्र नहीं चलने देंगे। आज पेसा कानून को और सशक्त बनाने के लिए पेसा के नए नियम लागू किए जा रहे हैं। यह पेसा कानून 89 जनजातीय ब्लॉकों में लागू होंगे। यह जमीन, जंगल और जन का अधिकार आपको देने वाला है। सीएम ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा धरती के आबा कहे जाते थे। अंग्रेज उनके नाम से कांपते थे। मैं ऐसे भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती पर उनके चरणों में प्रणाम करता हूं। जनजातीय समाज से हमारी तपस्वी बहन श्रीमती द्रौपदी मुर्मू आज भारत की राष्ट्रपति हैं। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने सिकलसेल बीमारी पर आदिवासियों को जागरूक किया और बताया कि इसका नि:शुल्क इलाज किया सर्वे किया जा रहा है। कार्यक्रम में केंद्र्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, फग्गन सिंह कुलस्ते, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, मंत्री मीना सिंह, बिसाहूलाल सिं, डॉ. प्रभुराम चौधरी उपस्थित रहे।
शिवराज ने कहा कि सामाजिक समरसता के साथ हम पेसा कानून के नियम लागू कर रहे हैं। जल, जंगल व जमीन पर सबका अधिकार है। यह पेसा कानून जल, जंगल व जमीन का अधिकार जनजातीय भाइयों-बहनों को देने वाला है। महुआ का फूल, महुए की गुल्ली, अचार की चिरौंजी, हर्रा, बहेड़ा, आंवला ये वनोपज होती है। ये पेसा के नियम तय करते हैं कि ग्राम सभा अब वनोपज का संग्रहण करेगी और इसका मूल्य भी तय कर सकेगी। अब हर साल गांव की जमीन का उसका नक्शा, वन क्षेत्र का नक्शा, खसरा की नकल, क्च1 की नकल पटवारी या फॉरेस्ट बीट गार्ड को गांव में लाकर ग्रामसभा को दिखाना पड़ेगा, ताकि जमीनों में कोई हेरफेर ना हो। गांव में मनरेगा और अन्य कामों के लिए धन आता है, इससे कौन सा काम किया जायेगा, इसे भी ग्राम सभा तय करेगी। छल-कपट कर बेटी से शादी कर जमीन हड़पने का काम मध्यप्रदेश की धरती पर हम नहीं होंगे देंगे। यदि यह पता चलता है कि किसी ने छल से जमीन नाम करवा ली है तो ग्रामसभा उस जमीन को वापिस करवाएगी। जो नियम विरुद्ध काम करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी। निर्धारित दरों से अधिक ब्याज दर पर कोई ऋण देगा, तो उसे भी किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ा जायेगा। गांवों में एक शांति और विवाद निवारण की समिति बनेगी। छोटे-मोटे विवादों का निवारण गांव में ही हो जाएगा, पुलिस की रिपोर्ट नहीं होगी। आप शांति और प्रेम से रहेंगे, छोटे-मोटे विवादों का फैसला बुजुर्ग ही कर देंगे।

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