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आक्रांताओं के नाम पर रखे गए स्थानों का बदला नाम.. जानें क्या है क्रूरता का इतिहास!

भोपाल। मप्र की राजधानी का हलालपुर बस स्टैंड अब हनुमानगढ़ी के नाम से जाना जाएगा। हलालपुर बस्ती का नाम भी अब हनुमानगढ़ के नाम से जाना जाएगा। इसके अलावा लालघाटी चौराहा श्री नारायण दास सर्वेश्वर चौराहे के नाम से जाना जाएगा। भोपाल की सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने यह प्रस्ताव रखा, जो कि नगर निगम परिषद की बैठक में पारित हो गया। सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि कू्ररता के दोनों चिह्न हटाने से अब गर्व महसूस होगा। इतिहासकारों की मानें तो अफगानिस्तान के लुटेरे दोस्त मोहम्मद खान ने भोपाल के समीप प्राचीन नदी के किनारे हिंदुओं को हलाल किया था। उस समय हजारों हिंदुओं के रक्त से नदी का पानी लाल हो गया था। तब आक्रांता ने नदी का नाम हलाली रखा था। उसी के नाम से यह स्थान हलालपुर हो गया। बताया जाता है कि लालघाटी का भी कुछ ऐसा ही किस्सा है। हिंदुओं के रक्त से वह घाटी लाल हो गई थी, इसलिए उसका नाम लालघाटी रख दिया गया। आक्रांता की क्रूरता के यह दोनों चिह्न अब हटाया जा रहे हैं। भोपाल के लोगों की और प्रदेश के लोगों की यह मांग लंबे समय से थी। प्रदेश में कई ऐसे स्थान अब भी हैं, जो आक्रांताओं के नाम पर हैं और उनका नाम बदलने की मांग भी कई बार हो चुकी
पूर्व मंत्री के गांव का नाम बदलकर होगा तुलसी ग्राम
बालाघाट के ग्राम लेंडेझरी का नाम सालिगराम, तुलसी विवाह के अवसर पर तुलसी ग्राम कर दिया गया। यह गांव पूर्व कृषि मंत्री व मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन का गृहग्राम है। बताया जाता है कि लेंडेझरी नाम अपमानजनक प्रतीत होता था, इसलिए मप्र शासन ने इस नाम को बदलने की अनुमति दे दी।

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