नगर पालिका जबलपुर में 1923 में अंग्रेजों ने की थी तालाबंदी, यह थी वजह

जबलपुर। वर्ष १९०० के आसपास देश में अंग्रेजों की हुकूमत के खिलाफ क्रांति की ज्वाला धधक रही थी। महात्मा गांधी की अगुवाई में देश अहिंसक आंदोलन को हथियार बनाकर अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। वर्ष १९२३ में जबलपुर नगर पालिका से झंडा सत्याग्रह का शंखनाद हुआ, जिसके कारण अंग्रेज सरकार से टकराव तक की नौबत आ गई। गांधी जी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई प्रारंभ करने के समय से ही कांग्रेस ने चरखायुक्त तिरंगे झंडे को राष्ट्र का प्रतीक स्वीकार कर लिया था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान झंडा सत्याग्रह के नाम से चले आंदोलन ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। वर्ष १९२३ में यह आंदोलन सबसे पहले जबलपुर से प्रारंभ हुआ। जबलपुर नगर पालिका के कांग्रेस सदस्यों ने नगर पालिका भवन यानि कि टाउन हॉल में झंडा फहराने का निर्णय लिया। १८ मार्च १९२३ को टाउन हॉल में तिरंगा झंडा फहराया गया। जब यह बात अंग्रेज डिप्टी कमिश्नर को पता चली तो उसने गुस्से में आकर तत्काल झंडा उतारने का आदेश दिया। पुलिस ने आदेश का पालन करते हुए न सिर्फ झंडा उतार दिया, बल्कि झंडे को पैरों तले रौंद भी दिया। इससे शहर के सत्याग्रहियों में आक्रोश की लहर दौड़ पड़ी। जिला कांग्रेस समिति ने सत्याग्रह प्रारंभ किया और डिप्टी कमिश्नर के आदेशों का उल्लंघन करते हुए एक जुलूस निकाला।
पंडित सुंदरलाल तपस्वी, पंडित बालमुकुंद त्रिपाठी, सुभद्राकुमारी चौहान, बाबू नाथूराम मोदी और कुछ स्वयंसेवक इस जुलूस में शामिल हुए। पुलिस ने बलपूर्वक इस जुलूस को रोक दिया और सभी नेताओं को बंदी बना लिया। जबलपुर नगर पालिका के सभी सदस्यों ने विरोध स्वरूप एक साथ त्यागपत्र दे दिया। जबलपुर में हुए तिरंगा झंडे के इस अपमान की खबर पूरे देश में फैल गई और हर भारतीय आंदोलित हो उठा। सत्याग्रहियों ने तय किया कि नागपुर को संघर्ष का केंद्र बनाया जाएगा। जमनालाल बजाज ने आंदोलन के संचालन का काम अपने हाथ में ले लिया। झंडा सत्याग्रह के लिए जलियांवाला बाग की दुखद घटना का दिन १३ अप्रैल को चुना गया। नागपुर से राष्ट्रीय झंडा सत्याग्रह ने विराट रूप ले लिया। झंडा सत्याग्रह से अंग्रेजी हुकूमत बुरी तरह चिढ़ गई। अंग्रेजों ने आदेश दिया कि प्रांत की सभी नगर पालिकाओं और जिला परिषदों के भवनों में अब तिरंगा झंडा नहीं फहराया जाएगा।
अंग्रेजों से नगर पालिका का टकराव यहीं नहीं रूका। इसी तरह का एक और वाक्या हुआ, जब अंग्रेजों ने जबलपुर नगर पालिका में तालाबंदी कर दी। दरअसल नगर पालिका अध्यक्ष पं. द्वारका प्रसाद मिश्र ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जितेंद्र नाथ शील को नगर पालिका का सचिव बना दिया। तब यह बहुत बड़ा मुद्दा बना अंग्रेजों और नगर पालिका के सदस्यों के बीच। अंग्रेजों का यह बात नागवार गुजरी और उन्होंने नगर पालिका में तालाबंदी कर दी।

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