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अंग्रेजों ने चांदी की तश्तरी में रखकर नहीं दी थी आजादी, हजारों क्रांतिकारी हँसते-हँसते बलिदान हो गए थे : शिवराज

  • जबलपुर के बरगी में वीरांगना रानी अवंतीबाई बलिदान दिवस के अवसर पर रानी अवंतीबाई की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया

जबलपुर। जबलपुर जिले के बरगी में वीरांगना रानी अवंतीबाई बलिदान दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रानी अवंतीबाई की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। उन्होंने कहा कि हमें अंग्रेजों ने आजादी चांदी की तश्तरी में रखकर नहीं दी थी, आजादी प्राप्त करने के लिए हजारों क्रांतिकारी हँसते-हँसते बलिदान हो गए थे। उनके लाल रक्त से यह धरती रंग गई थी। तब उनके त्याग, तपस्या और बलिदान से देश आजाद हुआ था। देश की स्वतंत्रता में सर्वोच्च बलिदान देने वाले क्रांतिकारियों के स्मारक बनाए जा रहे हैं। चाहे रघुनाथ शाह, शंकर शाह हों, चाहे भीमा नायक, टंट्या मामा हों, चाहे बिरसा भगवान को मध्यप्रदेश में सबके स्मारक बनाए जा रहे हैं। मैं अमर शहीदों का चारण, उनके गुण गाया करता हूँ। जो कर्ज राष्ट्र ने खाया है, मैं उसे चुकाया करता हूँ।। हमने छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी का नाम राजा रघुनाथ शाह, शंकर शाह जी के नाम पर रखने का काम किया है।
रानी ने वीरता और नेतृत्व क्षमता से अंग्रेजों के पैर मंडला से उखाड़ दिए थे
शिवराज ने कहा कि 1857 के स्वातंत्र्य समर में रानी अवंतीबाई के आव्हान पर अनेकों क्रांतिकारी, राजा इकट्ठे हुए थे। राजा रघुनाथ शाह, शंकर शाह सहित अनेकों क्रांतिकारियों, राजाओं तथा वीरों ने अंग्रेजों को भगाने का निर्णय था। 18 सितंबर 1857 में तोप के मुँह से बांधकर उड़ा दिया था। उससे बाद क्रांति की बागडोर रानी अवंतीबाई ने संभाली थी। उनके आदेश पर रामगढ़ के सेनापति ने भुआ बिछिया थाने पर आक्रमण कर अधिकार कर लिया था। छोटी उम्र में ही वीरांगना अवंतीबाई ने अंग्रेजों से लोहा लिया। खैरी के युद्ध में वीरांगना अवंतीबाई ने रणचंडी बनकर अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए और भागने पर मजबूर कर दिया। रानी ने अपनी वीरता और नेतृत्व क्षमता से अंग्रेजों के पैर मंडला से उखाड़ दिए थे।

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