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सूर्य नमस्कार धर्म विशेष का, इस्लाम झुकने की इजाजत नहीं देता, याचिका पर कोर्ट ने यह दिया फैसला

जबलपुर। भोपाल विधायक आरिफ मसूद के तरफ से लगी याचिका को हाई कोर्ट की सीजे बैंच ने ख़ारिज कर दिया है। विधायक आरिफ मसूद की तरफ से लगी याचिका में कहा गया था कि सूर्य नमस्कार धर्म विशेष समुदाय का है। प्रदेश में मुुस्लिम आबादी भी रहती है और इस्लाम में किसी जाति-धर्म के आयोजनों में झुकने की इजाजत नहीं देता। जबकि सूर्य नमस्कार में झुकना अनिवार्य है। इस मामले पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि अब सूर्यनमस्कार की अवधि 7 फरबरी तक थी और यह ख़त्म हो गई है, तो इस मामले पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं होता। साथ ही विधायक मसूद के तरफ से जो याचिका में कहा गया था, उस पर जबाब देते हुए महाधिवक्ता ने कोर्ट में कहा ह िसूर्य नमस्कार में सीभागिता जरूरी नहीं बल्कि अपील थी और सूर्यनास्कर धर्म नहीं बल्कि एक व्यायाम है।
महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि सरकार ने अपेक्षा जताई थी कि आजादी के अमृत महोत्सव में प्रत्येक नागरिक और छात्र का स्वैच्छिक सहभागिता हो। 75 करोड़ सूर्य नमस्कर 3 जनवरी से 7 फरवरी तक लक्ष्य रखा गया था। याचिका में कहा कि गया कि ये अनिवार्य है। याचिकाकर्ता ने इस्लाम धर्म का संदर्भ दिया था। याचिका सुनवाई के लिए आई तो अवधि समाप्त हो गई। इसलिए कोर्ट ने अवधि समाप्त हो चुकी थी, इसलिए सुनवाई का कोई मतलब नहीं है। हमने दलील दी कि सूर्य नमस्कार को किसी धर्म से जोडक़र नहीं देखना चाहिए। सूर्य नमस्कार एक व्यायाम है। यह सबके स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। सूर्य को नमस्कार करना आवश्यक नहीं है। हमारा स्टैंड रहा है कि किसी भी दिशा में ये व्यायाम किया जा सकता है। सरकार का यह स्टैंड रहा है कि यह अनिवार्य नहीं है। स्वैच्छिक सहभागिता की अपेक्षा सरकार ने जताई थी।

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