भोपाल। मध्य प्रदेश के रीवा के सुंदरजा आम और मुरैना की गजक को जीआई टैग मिला है। इससे अब सुंदरजा आम और गजक को वैश्विक पहचान मिली है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस गौरवपूर्ण सम्मान के लिए रीवा और मुरैना के भाई-बहनों एवं सभी प्रदेशवासियों को मैं हृदय से बधाई देता हू। मुख्यमंत्री ने इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का आभार माना है। सुंदरजा आम सबसे मीठे आमों में से एक है। अब जीआइ टैग मिलने से पूरी दुनिया इसकी खासियत जान पाएगी।
मीठा रसीला, स्वाद लाजवाब
रीवा का सुंदरजा आम फलों का राजा नहीं बल्कि महाराजा है। जीआई टैग मिलने से आम की अब देश दुनिया में भी पहचान बढ़ेगी। सबसे मीठे और अच्छे इन आमों को जीआइ यानि ज्योग्राफिकल इंडिकेटर टैग मिल गया है। पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सोशल मीडिया अकाउंट पर सुंदरजा आम के साथ ही मुरैना की गजक और छत्तीसगढ़ के धमतरी के नागरी दूबराज चावल को जीआइ टैग मिलने पर प्रसन्नता जताई है। रीवा कलेक्टर मनोज पुष्प के अनुसार सुंदरजा गोविंदगढ़ के बगीचों से निकलकर विदेश में भी महक बिखेर रहा है।
रीवा में यहां होता है सुंदरजा आम
सुंदरजा आम रीवा के गोविंदगढ़ कस्बे में होता है। इसकी प्रजाति 2 भी विकसित हो चुकी हैं। कुठुलिया फल व कृषि अनुसंधान केंद्र में सुंदरजा की प्रजाति 2 विकसित की गई है। सुंदरजा 2 की भंडारण गुणवत्ता बेहतर है। यानि कि इसे सामान्य तापमान पर 10 से 12 दिन व फ्रीजिंग में 30 दिन तक रख सकते हैं। इससे विदेशों में निर्यात करने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। सुंदरजा आम की विशेष सुगंध और मिठास का कोई मुकाबला नहीं है। यह बिना रेशे वाला और कम शर्करा वाला आम है। इसे शुगर के मरीज भी खा सकते हैं।
मुरैना के गजक की यह विशेषताएं
मप्र के मुरैना के गजक बहुत प्रसिद्ध हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यात किए जाते हैं। गजक को तिल और गुड़ के साथ तैयार किया जाता है। 5 से 8 किलोग्राम गजक तैयार करने में लगभग 10-15 घंटे लगते हैं। आटे को तब तक फेंटा जाता है, जब तक कि सभी तिल न टूट जाएं और आटे में अपने तेल को छोड़ दें। इस स्वाद लाजवाब होता है। जीआई टैग मिलने से इसे वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी।
रीवा के सुंदरजा आम और मुरैना की गजक को मिला जीआई टैग, जानें क्या है खासियत
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