सलीम पठान ने मानी संतों की महिमा, मां नर्मदा की अपार कृपा से पाईं आंखें मंडला।

धार्मिक कट्टरता के बीच मंडला में साम्प्रदायिक सौहार्द की एक अनोखी तस्वीर देखने को मिली है। इन दिनों महाराष्ट्र के मालेगांव, नासिक के परिक्रमावासी अपनी परिक्रमा करते हुए मंडला से गुजरते हुए डिंडोरी की तरफ बढ़ रहे है। इन्हीं में से एक परिक्रमावासी का नाम सलीम इस्माइल पठान है। नाम सुनकर आप चौंक गए होंगे? सलीम इस्माइल पठान के नर्मदा भक्त और परिक्रमावासी बनने की कहानी जानने के लिए देखिए यह रिपोर्ट
सामान्य परिक्रमावासी की तरह सफ़ेद कुरता-सफ़ेद लुंगी पहने नजऱ आ रहा यह व्यक्ति भी नर्मदा परिक्रमा कर रहा है। इस अनोखे नर्मदा भक्त का नाम है सलीम इस्माइल पठान। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर सलीम नर्मदा भक्त कैसे बन गया तो सुनिये सलीम की ही ज़ुबानी। सलीम बताता है कि जब वह पांचवीं कक्षा में पढ़ता था, तब आंधी आई। आंधी की धूल उसकी आँख में समा गई और उसकी आँख की रोशनी चली गई। तमाम कोशिशें की, खूब इलाज कराया लेकिन आँखों की रोशनी नहीं आई। सलीम 14 साल तक अंधे रहे। फिर एक दिन उनके गाँव में रहने वाले जनार्दन गिरी के शिष्य ने उनसे कहा कि तुम हमारे गुरुजी के पास चलो। फिर हम महामंडलेश्वर शांतिगिरी से मिले। उस वक्त वो मौन धारण किये हुए थे। उन्होंने जब हमसे पूछा कि तुम क्यों आये हो तो मैंने बताया कि मुझे आंखों की रौशनी वापस चाहिये। उन्होंने 21 दिन तक केवल फलाहार रखा। शुद्ध शरीर करने के बाद वो ओंकारेश्वर ले गए। उन्होंने कहा कि जो करेगी हमारी नर्मदा माई करेगी। त्रंबकेश्वर से एलोरा ले गए। एलोरा से ओम्कारेश्वर ले गए। वहां 8 दिनों तक नर्मदा माई के नाम का जप कराया गया। उसके बाद पूजा पाठ कराई गई। फिर एक दिन सुबह जब सूरज निकला तो जैसे जैसे उसकी किरणें तेज होती गई वैसे – वैसे मेरी आँखों की रौशनी वापस आ गई।
सलीम बताते हैं कि आँखों की रौशनी आने के बाद शांति गिरी महाराज ने पूछा कि तुझे अब क्या करना है तो मैंने उनसे दो दिन का समय मांगा और अपने घर गया। वहां मैं सब से मिला। मेरी आँखों की रौशनी वापस आने पर सब बहुत खुश हुए। मेरे समाज के कुछ लोग कहने लगे कि अब तो तेरा नाम बदला जाएगा, तो मैंने उन्हें बताया कि शांति गिरी महाराज ने कहा है कि नाम नहीं बदला जायेगा। तुम्हारा नाम सलीम पठान ही रहेगा। यदि तुम हमारे साथ रहना चाहते हो तो तुम्हें अपने धर्म का पालन करना पड़ेगा। तुम्हें नमाज़ भी पढऩी होगी और रोज़े भी रखने होंगे। महाराज जी ने कहा कि तुम अपने धर्म का पालन करने के साथ-साथ जो भजन कीर्तन करना चाहो कर सकते हो। तभी से वो अपने धर्म का पालन भी कर रहे है और नर्मदा का भजन कीर्तन भी।

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