रामचरितमानस और महाभारत की भी होगी पढ़ाई, विपक्ष का अपना तर्क

भोपाल। पिछले दिनों मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने आरएसएस के संस्थापक डॉ. हेडगेवार के विचारों को मेडिकल शिक्षा में शामिल कर पढ़ाने का निर्णय लिया, तो बवाल मचना स्वभाविक था। इस फैसले पर कांग्रेस नेता अरूण यादव ने कहा था कि देश और प्रदेश में जबरन संघी विचारधारा को लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। अगर आप हेडगेवार को पढ़ा रहे तो नाथूराम गोडसे को भी पढ़ाएं, ताकि लोगों को पता चला कि गोडसे कौन है। उन्होंने कहा कि मेडिकल शिक्षा में हेडगेवार के विचारों को पढ़ाने का क्या औचित्य है। बहरहाल अब उच्च शिक्षा में रामचरित मानस और महाभारत की पढ़ाई कराने का निर्णय भी प्रदेश सरकार ने ले लिया है। सूत्रों का कहना है कि बीए के पाठ्यक्रम से इन ग्रंथों को पढ़ाने की शुरूआत की जाएगी। वहीं विपक्ष ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि अगर रामचरितमानस और महाभारत की पढ़ाई शुरू कराई जा रही है, तो फिर कुरान, बाइबल और गुरूगं्रथ साहिब को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। कांग्रेस का कहना है कि सभी धर्मग्रंथों में वैज्ञानिकता है। ऐसे में उन ग्रंथों की शिक्षा भी छात्रों को दी जाए।
100 नंबर का होगा पेपर, लेकिन रहेगा वैकल्पिक
जानकारी मिली है कि उच्च शिक्षा विभाग ने रामचरित मानस का व्यवहारिक दर्शन नाम से नया सिलेबस बीए के लिए तैयार किया है। बताया जाता है कि इसका सौ नंबर का पेपर होगा, लेकिन यह छात्रों के लिए वैकल्पिक ही होगा। विभाग का कहना है कि भगवान श्रीराम, रामभक्त श्री हनुमान और रामायण के रचियता तुलसीदास जी के बारे में विस्तार से जानकारी छात्रों को दी जाएगी, ताकि वे उनसे प्रेरित हो सकें और उनकी शिक्षा को जीवन में उतार सकें।
उच्च शिक्षा विभाग का यह है तर्क
उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव का मानना है कि धर्मग्रंथों में वैज्ञानिकता है। देश की संस्कृति के बारे में बच्चों को पढ़ाने से वे उनके गौरवशाली अतीत के बारे में जान सकेंगे। देश के समृद्ध इतिहास के बारे में अगर बच्चे पढ़ेंगे, तो इसमें गलत क्या है। क्योंकि अगर वे इसे नहीं जानेंगे, तो फिर कौन जानेगा।
हां, हम कर रहे भगवाकरण
कांग्रेस का आरोप है कि शिक्षा का भगवाकरण किया जा रहा है। खासतौर पर डॉ. हेडगेवार को पढ़ाने पर कांग्रेस को आपत्ति है। इस पर उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने साफ कहा कि हां, हम भगवाकरण कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर हमारी नई शिक्षा नीति में संस्कृत का विषय है, तो हमने उर्दू को भी शामिल किया है। छात्रों को हमारे जीवन मूल्यों का ज्ञान होना चाहिए, क्योंकि समाज को आज इसकी जरूरत है।

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