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सरकार को घेरते-घेरते सेना पर सवाल उठा रहे राहुल, आखिर क्या है रणनीति..क्या है सच्चाई?

देखें आखिर सेना-सरकार पर क्या बोल रहे हैं राहुल..?

  • राहुल गांधी बोले-चीन कर रहा युद्ध की तैयारी, शिवराज ने कहा-भारत अजेय
  • राहुल का दावा, सरकार ने चीन को ठीक से हैंडल नहीं किया, हमारी सरकार ने चीन और पाकिस्तान को कभी एक नहीं होने दिया

नई दिल्ली। भारत जोड़ो यात्रा पर निकले कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी सरकार पर तो आक्रामक हैं ही, सेना से जुड़े मुद्दे भी उठा रहे हैं। उन्होंने मीडिया से कहा कि सेना का यूज राजनीतिक फायदे के लिए नहीं होना चाहिए। उनका मानना है कि हमारा एक भी जवान शहीद न हो। राहुल ने कहा कि सरकार ने चीन को ठीक से हैंडल नहीं किया। हमारी सरकार ने चीन और पाकिस्तान को कभी एक नहीं होने दिया, लेकिन अब वे एक हो चुके हैं। डोकलाम और लद्दाख में कदम उठाकर चीन ने युद्ध की तैयारी कर ली है।

शिवराज ने कहा-सेना को सभी विवादों से परे रखना चाहिए

राहुल गांधी के इस बयान पर मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सेना को सभी विवादों से परे रखना चाहिए। हमारी सेना हमारा गर्व है। हमारे वीर सैनिक जान हथेली पर रखकर देश की सीमाओं की सुरक्षा के काम में दिन-रात डटे हैं। भारत आज अजेय है, हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं और पूरी दुनिया में हम शान के साथ खड़े हैं। सेना को मेरा प्रणाम।

आखिर क्या है रणनीति?

राहुल गांधी दरअसल मोदी सरकार पर सवाल खड़े करना चाहते हैं। वे यह दिखाना चाहते हैं कि मोदी सरकार की विदेश नीति बेकार है। चीन और पाकिस्तान हमारे विरूद्ध एक होकर खड़े हैं और चीन तो युद्ध की तैयारी कर रहा है। उसने अपनी यह मंशा डोकलाम और लद्दाख के तवांग में दिखा दी है। बस इसी बहाने राहुल गांधी मोदी सरकार को कठघरे में खड़े करना चाहते हैं। अब देखना होगा कि उनकी यह रणनीति कितनी सफल हो पाती है।

विदेश नीति आखिर कितनी सफल?

मोदी सरकार की विदेश नीति पिछली सरकारों से अलग है। पहला कार्यकाल शुरू करते ही मोदी ने सभी पड़ोसी देशों को शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया। कश्मीर में हमला हुआ तो पाकिस्तान की टीम को जांच के लिए बुलाया। लेकिन जब मोदी सरकार ने यह समझ लिया कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते तो करारा जवाब भी दिया। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान का घमंड चकनाचूर कर दिया। आर्थिक मोर्चे पर भी मोदी सरकार ने पाकिस्तान को कभी खड़ा नहीं होने दिया। सारे आर्थिक संबंध तोड़े तो अमेरिका से मिलने वाली आर्थिक मदद पर भी रोक लगवा दी। अमेरिका से नजदीकी बढ़ाते हुए यूक्रेन से युद्ध लड़ रहे रूस से भी अपने हित साधे।

चीन का घमंड टूटा या हौसले बढ़े?

भारत ने चीन से संबंध सुधारने के भरसक प्रयास किए। मोदी चीन गए और शी चिनपिंग भारत भी आए। लेकिन चीन भी कहां मानने वाला था। बार-बार गीदड़भभकी देने के बाद भारत की चीन से पहली भिड़ंत डोकलाम में हुई। यहां हुए टकराव में भारत के 21 जवान शहीद हो गए। हालांकि चीन ने यह नहीं बताया कि उसके कितने जवान मारे गए। सूत्र बताते हैं कि चीन के 40 से अधिक जवान मारे गए। तनातनी के बीच दोनों देशों में युद्ध के हालात बने रहे, लेकिन भारत पीछे नहीं हटा। अब फिर तवांग में झड़प हुई, तो भारत वहां भी डटकर खड़ा रहा।

कोई भी देशभक्त नहीं चाहता सेना का अपमान

राहुल कहते हैं कि चीन भारत के सैनिकों को पीट रहा है। हमारे जवान मारे जा रहे हैं। चीन हमें डरा रहा है और भारत सरकार डर रही है। राहुल के कहने का यही तात्पर्य है कि मोदी सरकार निकम्मी है। लेकिन वे यह नहीं जानते कि कोई भी देशभक्त सेना का अपमान और राहुल के इन बयानों का समर्थन नहीं करेगा। जब कोई जवान शहीद होता है तो हर किसी का खून खौल उठता है। हां, शांति तब मिलती है, जब दुश्मन देश का आतंकवादी या सैनिक मारा जाए। राहुल इन भावनाओं को समझ नहीं पा रहे हैं।

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