- फीस नहीं मिली तो नहीं दी टीसी, महर्षि विद्या मंदिर से बच्ची की टीसी दिलाने की मांग
- डीईओ के पास पहुंचे भाजपा नेता जमा खान, न्याय दिलाने की मांग
जबलपुर। शिक्षा भी अब व्यवसाय बन गया है। इसलिए प्राइवेट स्कूलों में फीस उगाही के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं। प्राइवेट स्कूलों में टीचरों का काम पढ़ाने से ज्यादा उगाही पर रहता है। स्कूल उन पर यह जिम्मेदारी थोप देता है, वे बच्चों और अभिभावकों को फीस के लिए बोलें। मजबूरी में उन्हें भी ऐसा करना पड़ता है, क्योंकि उन्हें भी तो आखिर सैलरी लेनी है। किसी बच्चे ने अगर फीस नहीं दी तो उसकी टीसी रोक ली जाती है। ऐसा ही कुछ मामला आया है शहर के महर्षि स्कूल का। यहां एक बच्च्ी को टीसी इसलिए नहीं दी जा रही थी, क्योंकि उसके पिता ने फीस जमा नहीं की थी। भाजपा नेता जमा खान ने इसकी शिकायत डीईओ से की, लेकिन डीईओ घनश्याम सोनी भी प्राइवेट स्कूलों का फेवर करते ज्यादा नजर आते हैं।
मनमान पर जताई नाराजगी
महर्षि स्कूल की मनमानी को लेकर भाजपा नेता जमा खान ने नाराजगी जताई है। जमा खान सोमवार को एक छोटी बच्ची को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचे। उनसे बच्ची की टीसी दिलाए जाने की मांग की। जमा खान ने बताया कि बच्ची का एडमिशन महर्षि विद्या मंदिर में कराया गया था, लेकिन लॉकडाउन के बाद उसके पिताजी की फीस भरने की हैसियत नहीं रही। इसलिए स्कूल प्रबंधन ने उन्हें टीसी देने से इनकार कर दिया। स्कूल जाने पर बच्ची के पिता को वहां से भगा दिया जाता है। उन्हें यह कहा गया कि जब तक भी फीस जमा नहीं करेंगे तब तक बच्ची की टीसी नहीं दी जाएगी।
सूदखोर की तरह बढ़ता है ब्याज
भाजपा नेता जमा खान ने बताया कि बच्ची के अभिभावक कुल्फी बेचते हैं। लॉकडाउन में वे धीरे-धीरे फीस जमा करते रहे। करीब 50-60 हजार रूपए फीस बकाया था। पिता ने समय-समय पर फीस जमा की। इसके बाद भी कभी उन्हें स्कूल से 60 हजार तो कभी 70 हजार रूपए बकाया बताया जाता है। उन्होंने कहा कि ये स्कूल मोटी फीस वसूलने के बाद ब्याज भी लगाते हैं। अगर बच्ची को न्याय दिलाने के लिए सड़कों पर उतरना पड़े तो हम उतरेंगे।