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M P की सियासत : SHIVRAJ ने पूछा सवाल, तो KAMAL NATH ने चौपाई लिखकर नर्क की दिलाई याद

  • प्रदेश में चुनाव के पहले जारी है ट्विटर वॉर और जवाबी हमले
  • पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पूछ रहे हिसाब तो सीएम कर रहे सवाल

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच सवाल-जवाब का खेल जारी है। विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटीं दोनों पार्टियों में ट्विटर वॉर भी चल रहा है। सीएम शिवराज ने एक बार फिर कांग्रेस पर हमला बोला और स्मार्ट सिटी पार्क में मुख्यमंत्री पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि कांग्रेस ने वोट लेने के लिए अनेकों वादे किए पर उन्हें पूरा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा था कि जैविक खेती के प्रशिक्षण, प्रमाणित बीज एवं विपणन हेतु विशेष पैकेज दिया जाएगा। विशेष पैकेज देना तो दूर वह जैविक खेती को ही भूल गए।

कमलनाथ बोले-राजा अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता तो नर्कगामी होता है

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रामचरित मानस की एक चौपाई के जरिए सीएम शिवराज को घेरा है। कमलनाथ ने लिखा कि श्रीरामचरितमानस में अनुज लक्ष्मण को समझाते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने कहा- जासु राज प्रिय प्रजा दुखारी। सो नृपु अवसि नरक अधिकारी। इस चौपाई का अर्थ है कि जिस राज्य की जनता कष्ट में होती है वहां का राजा जो अपने कर्तव्य का पालन नहीं करता वह नर्क गामी होता है। शिवराज जी, समझदार को इशारा काफी होता है। कमलनाथ ने आगे लिखा- मध्य प्रदेश में किसान दुखी हैं, मध्यप्रदेश में जवान दुखी हैं, मध्यप्रदेश में नौजवान दुखी हैं, मध्यप्रदेश में माताएं-बहनें दुखी हैं, मध्यप्रदेश में दलित और आदिवासी दुखी हैं। उनके दुख का कारण आपका झूठ है। आपने उनसे झूठा वादा किया था कि हम 50 लाख युवाओं को रोजगार के लिए तैयार करेंगे। कहां है वह तैयारी और कहां हैं वह रोजगार। जवाब दीजिए शिवराज जी।

चौपाई के बहाने एक और ट्वीट

इससे पहले कमलनाथ ने तुलसीदास की चौपाई लिखते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा था। कमलनाथ ने ट्वीट कर लिखा- झूठइ लेना, झूठइ देना। झूठइ भोजन, झूठ चबेना। बोलहिं मधुर बचन जिमि मोरा। खाइ महा अहि हृदय कठोरा। शिवराज जी, आप जैसी झूठ की मशीनों के लिए सदियों पहले रामचरितमानस में यह चौपाई लिखी गई थी। इसलिए भगवान से डरिए और झूठी घोषणाएं बंद कर दीजिए। जनता को पुरानी झूठी घोषणाओं का हिसाब दीजिए।

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