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पंडित प्रदीप मिश्रा का जादू : रुद्राक्ष महोत्सव में जुटे 10 लाख लोग

  • लाइन में घंटों का इंतजार, कईयों की तबीयत बिगड़ी, प्रशासन ने खड़े किए हाथ
  • दावा-रुद्राक्ष को पानी में डालना है और उस पानी को पीना है, हर समस्याएं दूर हो जाएगी

भोपाल। पंडित प्रदीप मिश्रा की दीवानगी ऐसी है कि सीहोर के पास कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष महोत्सव शुरू होने से पहले ही लाखों लोगों की भीड़ जुट चुकी है। सबकी बस एक ही चाहत है कि किसी तरह महोत्सव में पहुंचें और दर्शन लाभ के साथ रूद्राक्ष हासिल करें। बहरहाल लाखों लोग पहुंच चुके हैं और उतने ही लोग इंतजार कर रहे हैं। भीड़ का रेला देखकर प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए हैं। रुद्राक्ष के लिए करीब 2 किलोमीटर की लंबी कतार लगी हुई है। करीब 10 लाख लोग सीहोर पहुंच चुके हैं। भीड़ को रोकने के लिए बांस और बल्लियों से बने बैरिकेड सैलाब बनी इस भीड़ को रोक नहीं पा रहे हैं। इस बीच कई लोगों का स्वास्थ्य भी खराब हो चुका है। यहां के प्राथमिक उपचार केंद्रों में करीब-करीब 3 हजार से ज्यादा लोग पहुंच चुके हैं। ज्यादातर बुजुर्ग और महिलाओं को भीड़ में अव्यवस्थाओं सेघबराहट, उल्टी और चोट लगी है।
रूद्राक्ष बंटने लगे तो मच गई मारामारी
कुबेरेश्वर धाम में एक दिन पहले ही रुद्राक्ष बंटने शुरू हो गए हैं, लेकिन हालात यह हैं कि भीड़ है कि संभाले नहीं संभल रही। यहां 1500 से ज्यादा पुलिसकर्मी और 10 हजार से ज्यादा वॉलेंटियर्स व्यवस्था संभालगे में लगे हुए हैं।
रूद्राक्ष के लिए यह दावा किया जा रहा
पंडित प्रदीप मिश्रा अपने प्रवचनों में दो लोटा जल और बेलपत्री के साथ ही रूद्राक्ष का महत्व बताते हैं। वे कहते हैं कि रुद्राक्ष को पानी में डालना है और उस पानी को पी जाना है। ऐसा करने से उनकी हर समस्याएं दूर हो जाएंगी। सब संकटों का निवारण हो जाएगा। गंभीर बीमारी कैंसर, डायबिटीज, किडनी फैलुअर जैसी बीमारी भी दूर होने का दावा किया जाता है। यही कारण है कि इस रुद्राक्ष को लेने के लिए लोगों की भीड़ जुटी है।
सोशल मीडिया से मिल रहा न्यौता
यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु बताते हैं कि उन्हें सोशल मीडिया नेटवर्क से न्योता दिया गया था। यही कारण था देशभर से लोग अपनी समस्याओं के निवारण वाला रुद्राक्ष मुफ्त में पाने पहुंचे गए। आलम ये रहा कि हाईवे से कुबेरेश्वर धाम की ओर जाने वाले प्रमुख रास्ते को पुलिस ने बंद करवा दिया। सिर्फ पैदल रास्ते से ही लोगों को एंट्री दी गई। ऐसे में बुजुर्ग, महिला और बच्चों को खासा परेशान होना पड़ा। न तो वे कार्यक्रम स्थल में जा पा रहे हैं और न ही वापस हो पा रहे हैं। कई लोगों को जहां जगह मिली, वहीं उन्होंने अपना डेरा जमा लिया। बहरहाल श्रद्धा के इस सैलाब में परेशानी होना तो लाजिमी है।

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