हमारी संस्कृति में मानवीय संवेदनाएं जागृत करने की शक्ति : शिवराज

भोपाल। भारतीय राजनीति में सेवा, संवेदना और संस्कृति पर विमर्श और विलक्षण जननायक पुस्तक का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी श्री अवधेशानंद जी महाराज व अन्य गणमान्य हस्तियों ने विमोचन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वदेश की 7 दशक की यात्रा को प्रणाम करता हूं। मूल्य आधारित पत्रकारिता की यात्रा को नमन करता हूं। परम श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपयी जी और मामाजी माणिकचंद जी के हाथों जो परंपरा स्थापित की, उस यात्रा को नमन करता हूं। आज के दौर में जब बाजार आधारित पत्रकारिता का चलन है, तो स्वदेश ने मूल्य आधारित पत्रकारिता को न सिर्फ जारी रखा, बल्कि इसकी पहचान कायम रखे हुए है। गौरवशाली, वैभवशाली और श्रेष्ठ भारत की स्थापना के लिए राष्ट्रीय स्वयं संघ की स्थापना की गई थी। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए संघ ने एक से बढक़र एक राष्ट्र सेवकों को राष्ट्र निर्माण के संस्कार से संस्कारित किया।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में बचपन से ही श्रीरामचरित मानस, श्रीमद्भागवत गीता आदि ग्रंथों की शिक्षा दी जाती है। गांव में मेरे बाल्यकाल के दौरान भी हमारी रुचि धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में रही है। श्रीरामचरित मानस तो मेरे मन में रच बस चुका है। हमारी संस्कृति में मानवीय संवेदनाएं जागृत करने की ऐसी शक्ति है, जो समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए प्रेरित करती है। गांव में बचपन के दिनों में मैंने कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए जो संकल्प लिए उसकी प्रेरणा धार्मिक ग्रंथों से मिली। लाडली लक्ष्मी योजना, गांव की बेटी, बेटियों को साइकिल जैसी अनेक योजनाओं के माध्यम से इनके सशक्तिकरण की दिशा में काम किया। आज लाड़ली लक्ष्मी योजना को देश के विभिन्न राज्यों ने अपनाया है।
संघ ने मुझे गढ़ा, लोक कल्याण ही जीवन का संकल्प
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मुझे जन कल्याण, कमजोर वर्ग के उत्थान के संस्कार और संवेदना प्रकट करने का संस्कार दिया। संघ ने मुझे ऐसा गढ़ा है कि मैं सदैव लोक कल्याण की भावना से काम करता हूं। यही मेरे जीवन का संकल्प है। परम श्रद्धेय जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी श्री अवधेशानंद जी महाराज से आशीर्वाद की कामना है कि हमें संवेदना के साथ सेवा के पथ पर चलने की शक्ति प्रदान करते रहें। एक ही चेतना सब में है, इस भाव का प्रकटीकरण ठीक ढंग से हो जाए, तो तेरा मेरा का झगड़ा ही समाप्त हो जाएगा। आचार्य शंकर की प्रतिमा की स्थापना से अद्वैत वेदांत के इस कल्याणकारी मंत्र का प्रसार होगा, जिससे मानवता का कल्याण होगा।
हमारी संस्कृति ने विश्व को सनातन धर्म, सेवा, आयुर्वेद, योग देकर अपनी स्वीकार्यता बढ़ाई : महामण्डलेश्वर स्वामी श्री अवधेशानंद जी
महामण्डलेश्वर स्वामी श्री अवधेशानंद जी ने कहा कि जब कोई सर्वस्व त्याग कर लोककल्याण की भावना से आगे बढ़ जाता है, तो व्यक्ति नहीं, संस्थान के रूप में पहचाना जाता है। मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ऐसे ही व्यक्तित्व हैं। शिवराज एक अच्छे कवि, लेखक और विचारक भी हैं, क्योंकि उनके अंदर संवेदना, करुणा और दूसरों की पीड़ा को आत्मसात करने का भाव है। हमारी संस्कृति ने विश्व को सनातन धर्म, सेवा, आयुर्वेद, योग देकर अपनी स्वीकार्यता बढ़ाई है। प्रसन्नता का विषय है कि कोरोना काल में शिवराज ने प्रदेश में आयुर्वेदिक काढ़ा बंटवाया था। शिवराज जी द्वारा मध्यप्रदेश में आद्य जगतगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा की स्थापना का प्रकल्प पूरे विश्व को संस्कृति की महान देन साबित होगा। शिवराज प्रतिदिन पौधारोपण का संकल्प लेकर पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ा कार्य कर रहे हैं। इस संकल्प की प्रेरणा उन्हें संस्कृति में निहीत प्रकृति के संरक्षण से मिली है। आदि जगतगुरु शंकराचार्य जी के अद्वैत सिद्धांत को स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा किए जा रहे प्रकल्प के लिए आपका योगदान अविस्मरणीय रहेगा।

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