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अष्टमी के दिन ही माता ने किया था चंड-मुंड राक्षसों का संहार, जानें कैसे पड़ा मां गौरी का नाम महागौरी

जबलपुर। चैत्र और शारदेय नवरात्र में हम नौ दिन तक जगतजननी मां दुर्गा की आराधना करते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि का अपना महत्व है। पुराणों के अनुसार माता दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिन तक युद्ध कर उसे हराया था। इसलिए हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है। अष्टमी के दिन ही माता ने चंड-मुंड राक्षसों का संहार कर उनके अत्याचारों से इस धरा को मुक्त कराया था। इसलिए इस दिन की पूजा का खास महत्व माना जाता है। अष्टमी के दिन को कुल देवी और माता अन्नपूर्णा का दिन भी माना जाता है। इसी कारण से देवी की पूजा करने से आपके कुल में चली आ रही मुसीबतें और परेशानियां कम होती हैं और आने वाले कुल की रक्षा होती है। अष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में धन-धान्य और सौभाग्य बना रहता है। महागौरी की पूजा से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और अखंड सुहाग के साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
घोर तप में मां गौरी धूल-मिट्टी से ढंक गई थीं
पौराणिक मान्यताएं हैं कि भगवान भोलेनाथ को पाने के लिए मां गौरी ने सालों तक कड़ी तपस्या की थी। इस घोर तप में मां गौरी धुल-मिट्टी से ढंक गई थीं। इसके बाद शिवजी ने स्वयं अपनी जटाओं से बहती गंगा से मां के इस रूप को साफ किया था। माता के रूप की इस कांति को शिवजी ने पुनर्स्थापित किया। इसी कारण उनका नाम महागौरी पड़ा।
जानें माता के रूप का महत्व
माता का रूप पूर्णतः गौर वर्ण का है। उनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। माता महागौरी के भी आभूषण और वस्त्र सफेद रंग के हैं। इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है। इनकी 4 भुजाएं हैं, ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है, जबकि नीचे वाले हाथ में मां ने त्रिशूल धारण किया है। ऊपर वाले बांये हाथ में डमरू और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। इनका वाहन वृषभ है, इसीलिए माता के इस रूप को वृषारूढ़ा भी कहा जाता है।
माता महागौरी को ऐसे करें प्रसन्न

  • मां महागौरी को भोग में नारियल और चीनी की मिठाई बनाकर चढाने से माता प्रसन्न होती हैं और हर तरह की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। घर धन-संपदा से भर देती हैं।
  • मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। इसके बाद मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें।
  • मां को सफेद रंग पसंद है। मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें। रोली-कुमकुम लगाएं। इसके बाद नारियल और काले चने का भोग लगाएं। आरती भी करें और फिर कन्या पूजन कर पारण करें।
  • घर पर नौ कन्याओं को आदरपूर्वक आमंत्रित करें और उनकी पूजा करें। फिर सभी को हलवा, खीर और पूड़ी का भोग और समर्थ्य अनुसार दक्षिणा देकर आदरपूर्वक घर से विदा करें।
  • नवरात्रि के अष्टमी दिन कन्या पूजन करने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं।
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