Homeमध्यप्रदेशMP : कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति.. भाजपा डाल रही डोरे..!

MP : कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति.. भाजपा डाल रही डोरे..!

अरूण यादव के बाद अब अजय सिंह को साधने के कयास
भोपाल। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार महज 15 माह ही सत्ता में रह सकी। मार्च 2020 में जब राजनीतिक उथलपुथल मची तो कांग्रेस ने दंभ भरा कि उसके संपर्क में भाजपा के कई विधायक हैं। मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और ब्यौहारी विधायक कांग्रेस के संपर्क में भी रहे। लेकिन भाजपा ने बड़ी सेंध लगाते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 विधायकों को तोड़ लिया। इस तरह कांग्रेस बोलते ही रह गई और भाजपा ने उसके पैरों के नीचे से जमीन खींच ली। बहरहाल तब से लेकर अब तक बड़ा मलहरा, दमोह विधायक समेत कुछ और कांग्रेस विधायकों ने पार्टी का दामन छोड़ा और इसका नतीजा यह है कि आज भाजपा सशक्त स्थिति में है, तो कांग्रेस सिर्फ सत्ता में आने का दंभ भरती रहती है। इससे पहले कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरूण यादव पर भी भाजपा ने डोरे डाले, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। अब चर्चाएं विंध्य के बड़े नेता अजय सिंह राहुल की है। वे पूर्व नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं और कांग्रेस के बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अर्जन सिंह के सुपुत्र हैं। ऐसे में भाजपा उन्हें साधकर विंध्य में कांग्रेस के सफाए की उम्मीद लगाए बैठी है। जिस तरह सिंधिया को बड़ी राजनीतिक जमीन भाजपा में मिली है, उसी तरह अजय सिंह के लिए भी रास्ता खोलने की कवायद की जा रही है।
अजय सिंह से मिले नरोत्तम मिश्रा और कैलाश विजयवर्गीय
मप्र में बड़े उलटफेर के कयास इसलिए लगाए जा रहे हैं, क्योंकि अजय सिंह राहुल एक दिन पहले ही गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा से मिल चुके हैं। ऐसे में 23 सितंबर को जब अजय सिंह का जन्मदिन था, तो नरोत्तम मिश्रा उनके आवास पहुंच गए और उन्हें जन्मदिन की बधाई दी। चूंकि ऐसे मेल-मिलाप सामान्य होते हैं, लेकिन कयास तो यही हैं कि अजय सिंह राहुल भाजपा का दामन थाम सकते हैं। अजय सिंह और नरोत्तम मिश्रा की मुलाकात को लेकर सियासी गलियारों में तो यही चर्चा हो रही है। खैर नरोत्तम मिश्रा मिले तो ठीक था, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय भी अजय सिंह को बधाई देने पहुंच गए। एक साथ भाजपा के दो बड़े नेताओं का इस तरह मिलना अपने आप में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा रहा है।
नाराजगी है बड़ी वजह
जिस तरह कांग्रेस में अरूण यादव नाराज बताए गए थे, उसी तरह अजय सिंह राहुल भी नाराज हैं। पहले तो विधानसभा चुनाव में वे चुरहट से हार गए। अपने गढ़ में हारने पर वे दुखी रहे। लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें सीधी से उतारा, लेकिन यहां भी हार का सामना करना पड़ा। जाहिर सी बात है कि इसके बाद से अजय सिंह का कांग्रेस से मोहभंग हो गया हो। कमलनाथ के प्रदेशाध्यक्ष रहते दोनों नेता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। अरूण यादव को संभवत: कांग्रेस से खंडवा लोकसभा के उपचुनाव में टिकट मिल जाए। लेकिन अजय सिंह राहुल को कांग्रेस में अपना भविष्य नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में सिंधिया की तर्ज पर अगर वे भाजपा में चले गए, तो किसी को हैरत नहीं होगी।
विंध्य में कांग्रेस का हो जाएगा सफाया
अगर अजय सिंह राहुल ने बगावत की तो विंध्य क्षेत्र कांग्रेस के हाथ से पूरी तरह निकल जाएगा। वैसे भी विंध्य में पिछले विधानसभा चुनाव में गिनती की सीटें ही कांग्रेस के पास रह गई थींं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सतना, रीवा और सीधी में अपना वर्चस्व स्थापित किया था। अगर अजय सिंह जैसा नेता कांग्रेस का दामन छोड़ता है, तो कांग्रेस का नुकसान तय है। साथ ही कमलनाथ के नेतृत्व पर भी सवालिया निशान लग जाएंगे।

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