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डेढ़ साल से कंगाल प्राइवेट स्कूल वालों की खुल गई लाटरी.. वसूली अभियान शुरू

जबलपुर। मार्च 2020 के बाद से ही कोरोना महामारी ने स्कूल वालों को कंगाल कर दिया। दर-दर की ठोकरें खाई, न्याय की गुहार लगाई, लेकिन सरकार से लेकर माननीय न्यायालय ने भी उन्हें राहत नहीं दी। उन्हें आदेश मिला कि सिर्फ ट्यूशन फीस ले सकते हैं। ऐसे में बेचारे प्राइवेट स्कूल वालों की कमाई मारी गई। अब ट्यूशन फीस में वे कैसे गुजारा करते। टीचरों की तनख्वाह रोकी, दी भी तो आधी अधूरी। किसी तरह गुजर-बसर किया। लेकिन अब उनकी फिर चांदी होने वाली है। सरकार ने पहली से लेकर 12वीं तक के स्कूल खोल दिए हैं। प्राइवेट स्कूल वालों को भी आपदा को अवसर में बदलने का जैसे मौका मिल गया। अब वे चोरी-छिपे पूरी फीस वसूलने की तैयारी में हैं। यानि कि अभी तक जो ट्यूशन फीस अभिभावकों को देनी पड़ रही थी, अब पूरी फीस देनी होगी। चाहे बच्चा स्कूल जाए या न जाए, लेकिन उगाही पूरी की जाएगी। ऐसे में अभिभावक चिंता में हैं कि बच्चों को स्कूल भेजें या न भेजें। परीक्षा के नाम पर बच्चों को स्कूल भी बुलाया जा रहा है। मंशा पढ़ाई की नहीं, बल्कि वसूली की है। एक बार बच्चे स्कूल आ जाएं, तो फिर उनसे बकाया जो वसूलना है।
जिंदा रहा तो आगे पढ़ लेगा सर जी..!
ऐसा ही एक रोचक मामला जबलपुर में सामने आया है, जब एक सरकारी स्कूल की ओर से दबाव डाला गया कि कक्षा 8 के सभी बच्चों को स्कूल आने का मैसेज स्कूल के ग्रुप में चला। एक अभिभावक ने साफ कर दिया कि सर जी! जब तक वैक्सीन नहीं लगेगी, तब तक मैं अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजूंगा। चाहे एक साल फेल ही सही। तीसरी लहर का क्या भरोसा सर जी! स्कूल प्रबंधन की ओर से दबाव डाला जाता है कि रोज स्कूल लगेगा। इस पर अभिभावक लिखता है कि जिंदा रहा तो आगे पढ़ लेगा.. सर जी! यह मामला 6-7 सितंबर का है, लेकिन इससे अभिभावकों की दुविधा और असमंजस समझा जा सकता है।
आदेश नहीं फिर भी वसूली
राज्य सरकार ने स्कूल तो खोल दिए हैं, लेकिन फीस की स्थिति स्पष्ट नहीं की है। यानि कि पुराना आदेश कि सिर्फ ट्यूशन फीस वसूलना है.. लागू रहेगा या फिर पूरी फीस वसूली की जाएगी.. इसे लेकर असमंजस की स्थिति है। बहरहाल अभिभावकों की जेब कटना तो तय है। फिर चाहे स्कूल भेजें या न भेजें। हां, उम्मीद यह जरूर बंधी है कि आने वाले महीना-15 दिन में बच्चों को वैक्सीन लगना शुरू हो जाए, तो अभिभावकों की भी चिंता दूर हो जाए।

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