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MP : रोल मॉडल है बसावन मामा गोवंश वन्य विहार, 4000 गोवंश का हो रहा संरक्षण

  • रीवा जिले में 35 एकड़ परिसर में 7 गोशालाओं गो-आवासीय प्रकोष्ठों का निर्माण शासन ने कराया
  • मध्यप्रदेश गोपालन एवं पशुधन संवर्द्धन बोर्ड की कार्य परिषद के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि जी ने कहा-प्रेरक है गोवंश वन्य विहार, व्यवस्थित हो रहा संचालन

रीवा। मध्यप्रदेश के रीवा जिला के बसावन मामा नामक स्थान पर सन् 2018 में गोवंश वन्य विहार को विकसित कर लोकार्पित किया गया था। इसका निर्माण करवाने में तत्कालीन उद्योग मंत्री राजेंद्र शुक्ल का अतुलनीय योगदान रहा। होगा। मध्यप्रदेश गोपालन एवं पशुधन संवर्द्धन बोर्ड की कार्य परिषद के अध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि जी की दृढ़ इच्छा व संकल्प शक्ति के फलस्वरूप इसके निर्माण का उपक्रम आरंभ हुआ था। इस समय यहाँ 4000 गोवंश का संरक्षण हो रहा है।
“मनरेगा“ से विकसित की गईं गोशालाएं
स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि जी ने बताया कि इस गो संरक्षण सेवा केंद्र की विशेषता यह है कि 2019 से 2021 तक इस 35 एकड़ भूमि परिसर में 7 गोशालाओं (गो-आवासीय) प्रकोष्ठों का निर्माण शासन द्वारा गया। यह सभी गोशालायें मुख्य मंत्री गो सेवा योजना के अन्तर्गत “मनरेगा“ की निधि से विकसित की गई हैं। यहाँ जो समिति बनाई गई, उसके अन्तर्गत एक प्रबंधक, दो सहायक प्रबंधक तथा तीन अन्य कर्मचारी एवं छह महिला कर्मचारी यहाँ की साफ-सफाई व्यवस्था का कार्य करती हैं।
सी.एस.आर. के दो करोड़ बैंक में जमा कराए, उसी से हो रही तनख्वाह
उन्होंने बताया कि क्षेत्र के उद्योग उपक्रमों के सी.एस.आर. फण्ड के आर्थिक सहयोग से यहाँ के अन्य निर्माण कार्य करवाये गये हैं तथा। सी.एस.आर. की सहयोग राशि से दो करोड़ रुपया बैंक में स्थाई निधि के रूप में जमा कराई गई है। उससे प्राप्त ब्याज की राशि से प्रतिमास कर्मचारियों को पुरुष कर्मचारी को 6000 रुपया और महिला कर्मचारियों को 5000 रुपया मानदेय का प्रतिमास भुगतान किया जाता है।
जंगल होने का भी फायदा
उन्होंने बताया कि वसावन मामा गोवंश वन्य विहार के पास जंगल में गोवंश चरने जाता है। सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक चारा चरने के बाद शाम पाँच बजे सारा गोवंश इस आवासीय परिसर में वापस आकर निवास करता है। मनरेगा के अन्तर्गत विकसित गोशालाओं में रह रहे गोवंश को प्रति गोवंश, प्रतिदिन 20 रुपया की सहायता चारा-भूसा, सुदाना हेतु प्रतिमास शासन द्वारा अनुदान प्राप्त होता है। यहाँ का संचालन बड़ी व्यवस्थित रीति से हो रहा है। क्षेत्रीय वर्तमान विधायक ने भी विधायक निधि से व प्रदेश के संस्कृति व पर्यटन विभाग द्वारा भी आर्थिक सहायता प्रदान की गई है, अनेक आकर्षक निर्माण यहाँ किये जा रहे हैं।
नवाचार : गोबर के दीपक, गमले, गोकाष्ठ, पेंट व वर्मी कम्पोस्ट बनाई जा रही
स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि जी ने बताया कि अवसि देखिहँहिं देखन जोगू।। रामायण की यह पंक्ति यहाँ विशेष रूप से चरितार्थ हो रही है। इस गोवंश वन्य विहार को प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का विशेष सम्बल प्राप्त है। उनकी गो सेवा संकल्प योजना की घोषणा के अनुरूप ही यहाँ का विकास क्रम निरंतर जारी है। इस गो सेवा केंद्र में आधुनिक युग की नवाचार विधि के अनुसार गोबर गोमूत्र के विभिन्न उत्पादों के निर्माण आरम्भ हो गये हैं। इस वर्ष की दीपावली में “कामधेनु दीपावली“के साथ गोबर के दीपक तथा गोबर से गमले, गो काष्ठ, गोबर पेंट एवं वर्मी कम्पोस्ट जैसे उत्पादों की दिशा में यहाँ किर्य आरम्भ हो गये है। गायों में भ्रूण प्रत्यारोपण तथा मादा शिशुओं के जन्म हेतु ए.आई.विधि भी यहाँ आरम्भ हो गई है, जिससे अब गायें “बछियाँ“ ही जन्मेंगी। उत्तम नस्ल के भारतीय गोवंश की दुधारू गायें इस केंद्र में होंगी, जिससे ग्रामीण जनों में गोपालन की अभिरुचि जागृत होगी। भारतीय नस्ल के उन्नत नरपशु (साँड) यहाँ उपलब्ध होंगे।
बृहद् गोबर गैस प्लांट भी स्थापित करने की योजना
महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वानंद गिरि ने बताया कि यहां एक बृहद् गोबर गैस प्लांट भी स्थापित करने की योजना शीघ्र आकर लेगी। इस दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ यहाँ कार्य आरम्भ होगा। स्वामीजी के निजी सेवक अमरनाथ तिवारी ने बताया कि स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि जी के यहां सप्ताह में दो बार औपचारिक तथा अनौपचारिक रूप से आने से स्थानीय गोपालक और कृषक जनों में उत्साह का संचार हुआ है। यहाँ के स्थानीय जन मन में यह बना रहता है कि अब स्वामीजी इस केंद्र में कब पधारेंगे। उनके आने से गोवंश की सेवा और गोवंश के सम्बंध में विविध प्रकार की नई-नई जानकारियाँ गोपालकों एवं गो सेवकों में उत्साहवर्द्धन करती हैं। बसावन मामा के इस गोवंश वन्य विहार को प्रदेश का उत्तम माडल के रूप में प्रस्तुत करने की योजना प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के लिये एक अनुकरणीय प्रेरक उदाहरण सिद्ध हो। भूमि, जंगल, पानी, प्रकाश की उपलब्धता के आधार पर प्रदेश में ऐसे गोवंश वन्य विहार अन्य क्षेत्रों में विकसित हों यह जन मन की उत्कट अभिलाषा है।

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