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MP : पंचायतों में सब गोलमाल, जिम्मेदार कर रहे कब्जे, कागजों में बनी सड़क

बिरसिंहपुर पाली ब्लॉक के हथपुरा पंचायत में जमकर हो रहा भ्रष्टाचार, पंचायत के कंप्यूटर ऑपरेटर ने सरकारी जमीन पर किया कब्जा
उमरिया। ज्यादातर पंचायतों में भ्रष्टाचार का खुला खेल चलता है। हैरत की बात तो यह है कि सब पता होते हुए भी जिम्मेदार आंखों में पट्टी बांधकर बैठे रहते हैं। ऐसा ही हाल आदिवासी बाहुल्य उमरिया जिले का है। प्रदेश सरकार की कैबिनेट मंत्री सुश्री मीना सिंह के गृह क्षेत्र में विकास के नाम पर खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने की वजह से स्थानीय प्रशासन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहा है। ताजा मामला आदिवासी बाहुल्य बिरसिंहपुर पाली ब्लॉक के हथपुरा पंचायत का है, जहां पंचायत में सड़क निर्माण के नाम पर 14 लाख की राशि गबन कर ली गई। हैरत की बात तो यह है कि सड़क का निर्माण हुआ ही नहीं। पंचायत में सरकारी जमीनों पर धड़ल्ले से कब्जा किया जा रहा है लेकिन संबंधित विभाग इसे रोक पाने में असफल हैं।
सड़क जर्जर, 14 लाख अंदर
तस्वीर में आप देख सकते हैं कि पंचायत को जोड़ने वाली यह जर्जर सड़क अधूरी पड़ी हुई है। लेकिन कागजों में चंद महीने पहले ही इस सड़क का निर्माण पूरा हो चुका है। सड़क निर्माण के नाम पर 14 लाख की राशि खर्च हो चुकी है। जबकि हकीकत यह है कि निर्माण एजेंसी ने सड़क का निर्माण ही नहीं किया और लाखों रुपए डकार लिए।
सरपंच ने खुद कबूला, सहमति से हो रहा अवैध निर्माण
हरपूरा पंचायत की यह दूसरी तस्वीर है, जहां पंचायत भवन के बगल में खाली पड़ी सरकारी भूमि पर निजी भवन का निर्माण कराया जा रहा है। उक्त भूमि पर कुछ साल पहले तक एक आदिवासी परिवार का कब्जा था लेकिन उस परिवार के लोगों ने शासकीय उपयोग के लिए उक्त जमीन से अपना कब्जा हटा लिया और यह जमीन सरकार को सौंप दी। आदिवासी परिवार ने इस जमीन को छोड़ दिया लेकिन इस सरकारी जमीन पर पंचायत भवन के कंप्यूटर ऑपरेटर जितेंद्र सिंह ने कब्जा जमा लिया और यहां निजी भवन का निर्माण करा रहा है। ग्रामीणों ने इसकी शिकायत स्थानीश् राजस्व अमले से की, लेकिन कंप्यूटर ऑपरेटर जितेंद्र सिंह को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने के कारण अवैध निर्माण को रोका नहीं गया। खास बात यह है कि यह अवैध निर्माण गांव के सरपंच कैलाश सिंह की सहमति से कराया जा रहा है। इस बात को सरपंच ने कैमरे के सामने खुद ही कुबूल किया है।
कब होगी कार्रवाई, पता नहीं
कुल मिलाकर आदिवासी ग्रामीणों को विकास के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है। मामले की शिकायत मिलने के बाद अब उच्च अधिकारी इसकी जांच कराने और कार्रवाई करने का भरोसा दिला रहे हैं। आदिवासी क्षेत्र होने के कारण उमरिया जिले में प्रदेश व केंद्र सरकार द्वारा हर साल करोड़ों रुपए का बजट स्वीकृत किया जाता है लेकिन करोड़ों रुपए का बजट खर्च होने के बाद भी यह क्षेत्र आज भी विकास से कोसों दूर है।

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