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मोदी सरकार ने दूसरी बार कदम वापस खींचे, दोनों बार वजह बने किसान

नई दिल्ली। दिल्ली बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को जिस ऐलान का इंतजार था, वह शुक्रवार को हो गया। केंद्र की मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले रही है। उन्होंने देश से माफी मांगते हुए कहा कि सच्चे मन से, पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी। इसी कारण दीये के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। उन्होंने कहा कि ये समय किसी को दोष देने का नहीं है। हम तीन कृ़षि कानूनों को वापस ले रहे हैं। वहीं आंदोलनकारी किसान अभी भी अपनी कुछ मांगों को लेकर अड़े हैं। किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि जब सरकार संसद से कानून वापस लेगी। इसके बाद ही आंदोलन वापस लेने पर विचार किया जाएगा। बहरहाल ये दूसरी बार है जब केंद्र की मोदी सरकार ने अपने कदम वापस खींचे हैं। इसके पहले भू अधिग्रहण कानून भी सरकार को वापस लेना पड़ा था। नहर, सडक़ समेत अन्य निर्माण कार्यों के लिए मोदी सरकार ने ये कानून पास कराया था। तब भी किसानों ने इसका विरोध किया था। तब भी लग रहा था कि सरकार अपने कदम वापस नहीं खींचेगी। लेकिन पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने ये कानून वापस लिया।
ये हैं बड़ी वजहें जिनके कारण पीछे हटी सरकार
आने वाले समय में उप्र, पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। उप्र और पंजाब में किसान बड़ा फैक्टर हैं। इसलिए सरकार किसानों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती थी। विरोध पार्टियां भाजपा और मोदी सरकार को किसान विरोधी साबित करने पर तुली हुई थी। इस वजह से सरकार ने इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला कर लिया। वहीं उप्र में केंद्रीय मंत्री के बेटे की कार से कुचलकर जिस तरह किसान मारे गए, उससे भी गलत संदेश गया। मोदी सरकार नहीं चाहती थी कि राकेश टिकैत एंड कंपनी उप्र में उसका खेल बिगाड़े। इन सब कारणों से मोदी सरकार ने बेहतर यही समझा कि तीनों कानून वापस ले लिए जाएं।
अब ये होगा कानून वापसी का असर
पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में विरोधी पार्टियां भाजपा को किसान विरोधी साबित नहीं कर पाएंगी। मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए कई योजनाएं लागू कर रही है। इससे संभवत: किसान भाजपा के पक्ष में जा सकते हैं। मोदी सरकार और भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव सबसे अहम हैं। मोदी समेत भाजपा का पूरा ध्यान इस समय उत्तर प्रदेश पर है। इसलिए यहां पर अब कृषि कानून कोई बड़ा मुद्दा नहीं रहेगा। चर्चा है कि मोदी सरकार किसान सम्मान निधि में बढ़ोत्तरी कर सकती है। ऐसे में आने वाले समय में किसानों को अपने-अपने पाले में करने की रणनीति और कवायद और भी तेज होने वाली है।

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