- आईटी पार्क में निवेशकों से अवैधानिक रूप से संपत्ति कर वसूलने के प्रयास के लगे आरोप
- रविवार के दिन अवकाश होने के बावजूद नगर निगम के कुछ अधिकारी व कर्मचारी अचानक आईटी पार्क पहुँचे
जबलपुर। जबलपुर के आईटी पार्क में कई बड़ी कंपनियों के कार्यालय हैं। यहां क्षेत्र के कई बेरोजगारों को भी रोजगार मिल रहा है। लेकिन अब यहां एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। आरोप हैं कि नगर निगम ने औद्योगिक क्षेत्रों एवं आई. टी. पार्क में स्थापित उद्योगों से अवैधानिक रूप से संपत्ति कर वसूलने के प्रयास किए हैं। जबलपुर आई.टी. एंड इलेक्ट्रॉनिक पार्क एसोसिएशन के संरक्षक डी. आर. जेसवानी का कहना है कि रविवार के दिन अवकाश होने के बावजूद नगर निगम के कुछ अधिकारी व कर्मचारी अचानक आई. टी. पार्क में पहुँचे और उद्योगों में बिना किसी अनुमति एवं पूर्व सूचना के प्रवेश कर गुंडागर्दी के लहजे से संपत्ति कर वसूलने के कुत्सित प्रयास किये। इससे इन उद्योगों के संचालकों में रोष व्याप्त है।
अचानक शुरू कर दी तालाबंदी
एसोसिएशन के सदस्यों का कहना है कि नगर निगम के अमले ने उद्योगों में अचानक तालाबंदी की कार्यवाही प्रारंभ कर दी। जब वहां उपस्थित कर्मचारियों ने विरोध किया तो उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया। उनके मोबाइल फ़ोन भी छीन लिए गए। सूचना मिलने पर आईटी पार्क के सभी निवेशक पहुँच गए और नगर निगम की इस अवैधानिक कार्यवाही के विरुद्ध कड़ा विरोध किया गया। नगर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों के द्वारा स्पष्ट चेतावनी दी गई कि आज तो हम संपत्ति कर वसूल कर ही रहेंगे अन्यथा कुर्की जैसी कड़ी कार्रवाई के लिए आप सभी लोग तैयार रहें।
आयुक्त से की बात तो 2 घंटे की मोहलत मिली
आई. टी. पार्क एसोसिएशन के संरक्षक डी. आर. जेसवानी द्वारा नगर निगम के आयुक्त स्वप्निल वानखेड़े से दूरभाष पर संपर्क किया गया। आयुक्त से हुई लंबी चर्चा के बाद 2 घंटे का समय दिया गया। साथ ही यह स्पष्ट बोला गया कि 2 घंटे के बाद यदि संपत्तिकर की अदायगी नहीं की गई तो आप लोग कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें।
निवेशक भी अड़े, नहीं देंगे संपत्ति कर
इसके बाद संघ के समस्त पदाधिकारी एकजुट हुए और यह तय किया कि नियम के अनुसार उद्योगपतियों की संपत्ति कर का भुगतान करने की देयता नहीं होती है। किसी भी सूरत में संपत्ति कर का भुगतान नहीं किया जाएगा। इसके बाद शहर के जन प्रतिनिधियों से भी संपर्क साध कर उनका सहयोग माँगा गया। जनप्रतिनिधियों ने भी भरपूर सहयोग दिया गया। लंबी जद्दोजहद के बाद आयुक्त द्वारा 3 दिन के भीतर सम्पत्ति कर जमा करने की मोहलत दी गई एवं नगर निगम के अमले को बिना किसी कार्यवाही किये वापस जाने के लिए निर्देशित किया।
3 घंटे बाद खुले उद्योगों के ताले
नगर निगम के कर्मचारियों अधिकारियों द्वारा उद्योगों में लगाए गए ताले खोल दिए गए तथा वापस चले गए। इस तरह से तीन घंटे तक चली लंबी नोकझोंक व नगर निगम की अवैधानिक कार्यवाही से निवेशक उद्योगपतियों में भारी रोष व्याप्त है। इस संबंध में बैठक कर आगे की रणनीति तय की जायेगी। आईटी पार्क एसोसिएशन के संरक्षक डी.आर. जेसवानी, चंद्रेश वीरा, राजेश गुप्ता, अतुल गुप्ता, अनूप आहूजा, लखविंदरसिंह , शिशिर पांडेय , अतुल पिम्पले एवं एनुल हक़ सहित बड़ी संख्या में उद्योगपति उपस्थित थे।