दिल्ली। श्रीलंका मुश्किल आर्थिक हालातों से उबर चुका है। भारत ने उसे चीन के चंगुल से उबार लिया है। पड़ोसी देश बांग्लादेश, नेपाल और पाकिस्तान को कब अकल आएगी, ये देखने वाली बात होगी। तबाह हो चुके श्रीलंका ने इस बात को स्वीकारा है कि भारत ने उसकी बड़ी मदद की है। श्रीलंका के विदेश मंत्री ने कहा कि मुश्किल वक्त में भारत ने सबसे ज्यादा मदद की है और इसके लिए श्रीलंका हमेशा भारत का अहसानमंद रहेगा।
दिल्ली में चल रहे रायसीना हिल्स डायलॉग में हिस्सा लेने के बाद एक श्रीलंकाई विदेश अली मंत्री साब्रे ने कहा- कि सच्चा दोस्त वही होता है, जो मुश्किल वक्त और खराब हालात में आपका हाथ थामे और मदद करे। भारत ने यही किया है।श्रीलंका दिवालिया हो गया था और सिविल वॉर के हालात बन गए थे। भारत ने फूड, फ्यूल और मेडिसिन के साथ करीब 3 अरब डॉलर का फॉरेन डिपॉजिट भी अपने इस पड़ोसी को दिया था।
श्रीलांक बोला, आप हमारे सच्चे दोस्त हैं
विदेश मंत्री साब्रे ने श्रीलंका और भारत के रिश्तों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि आर्थिक संकट से गुजर रहे हमारे देश को सिर्फ भारत सरकार ने ही मदद नहीं दी, यहां के आम लोग भी हमारे साथ खड़े रहे। आप हमारे सच्चे दोस्त हैं। श्रीलंका हमेशा इसके लिए अहसानमंद रहेगा। उन्होंने कहा कि हम कर्ज जाल में फंसे और दिवालिया हुए तो भारत ने सबसे पहले मदद भेजी। ऐसा कोई दूसरा देश नहीं कर सका। उन्होंने कहा कि श्रीलंका की मदद करने वाले देशों में भारत के अलावा चीन और जापान भी हैं।
कर्ज ने तबाह कर दिया था
श्रीलंका की सरकारों ने जमकर कर्ज लिए, लेकिन इसका सही तरीके से इस्तेमाल करने के बजाय दुरुपयोग ही किया। 2010 के बाद से ही लगातार श्रीलंका का विदेशी कर्ज बढ़ता गया। श्रीलंका ने अपने ज्यादातर कर्ज चीन, जापान और भारत से लिए। हंबनटोटा पोर्ट को चीन को 99 साल की लीज पर दे दिया था। ऐसी नीतियों ने उसके पतन की शुरुआत की। वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलेपमेंट बैंक का भी पैसा बकाया है। 2019 में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने टैक्स में कटौती का लोकलुभावन दांव खेला, लेकिन इससे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा। हालत ये बने कि 9 जुलाई 2022 को प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो के राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति गोटबाया भाग खड़े हुए।