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डराने लगा H-3 N-2 इन्फ्लुएंजा, देशभर में अबतक 3038 केस सामने आए

  • 2 की मौत के बाद हुई समीक्षा बैठक, नीति आयोग भी करेगा मंथन
  • अलर्ट रहने और स्थिति की बारीकी से निगरानी करने के लिए एडवाइजरी जारी

दिल्ली। कोरोना की रफ्तार थम गई लेकिन H-3 N-2 इन्फ्लुएंजा ने खतरा बढ़ा दिया है। कोरोना की तरह संक्रामक यह रोग तेजी से बढ़ रहा है। इसके साथ ही पहली बार 2 लोगों की मौत ने देशभर की चिंता बढ़ा दी है। देश में एच-3 एन-2 इन्फ्लुएंजा से इन मौतों के बाद केंद्र सरकार भी अलर्ट पर है। मृतकों में कर्नाटक के हासन जिले के 82 साल का वृद्ध और हरियाणा के जींद का 56 साल का व्यक्ति है। हालांकि दोनों मरीजों ब्लड प्रेशर की बीमारी थ। देश में जनवरी से अब तक एच-3 एन-2 इन्फ्लुएंजा के 3084 केस सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने देश में इन्फ्लुएंजा वायरस के बढ़ते मामलों की समीक्षा की। उन्होंने राज्यों को अलर्ट रहने और निगरानी करने के लिए एडवाइजरी जारी की है। मांडविया ने बताया कि सरकार स्थिति से निपटने के लिए राज्यों के साथ काम कर रही है। वहीं नीति आयोग ने भी मंत्रालयों की बैठक बुलाई है। इसमें राज्यों की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। हालांकि राहत की बात यह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का अरनुमान है कि मार्च के आखिर तक H-3 N-2 इन्फ्लुएंजा के संक्रमण के मामलों में कमी आ सकती है।
कोरोना की तरह ही हैं एच3एन2 वायरस के लक्षण
कोरोना की तरह ये इन्फ्लुएंजा वायरस है जो कि सांस में संक्रमण पैदा करता है। H-3 N-2 इन्फ्लुएंजा ए का सब टाइप है। इन्फ्लुएंजा वायरस हवा में सर्कुलेट होता है, लेकिन मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण इसकी तीव्रता में इजाफा होता है। इससे संक्रमित होने पर सांस लेने में परेशानी, खांसी-जुखाम, बुखार, डायरिया, उल्टी और शरीर में दर्द की शिकायत भी होती है। कोरोना के कारण लोगों की इम्युनिटी कमजोर होने से इसका संक्रमण बढ़ रहा है। H-3 N-2 वायरस म्युटेट हुआ है जिससे संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। इससे बचाव के लिए मास्क का उपयोग और सोशल डिस्टेंसिंग बेहतर तरीका है। जैसे कोरोनाकाल में हम भीड़भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचते थे, वैसे ही अभी भी कर सकते हैं। लंबे समय तक खांसी और जुखाम रहने पर डॉक्टर को दिखाना ही बेहतर है। इसका अभी कोई टीका नहीं है, लेकिन एंटीवायरल दवाओं का उपयोग डॉक्टर की सलाह पर कर सकते हैं। H-3 N-2 वायरस से सबसे ज्यादा खतरा बच्चों, बुजुर्गों और पहले से अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को है। लंबे समय तक खांसी-जुखाम रहे तो 60 साल से अधिक आयु के लोगों को तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

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