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जबलपुर में बनेगा गौवंश वन विहार, 530 एकड़ भूमि में 2000 गौवंश को मिलेगा आश्रय

सीएम का ऐलान, म.प्र. गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि के प्रयासों से मिली बड़ी सौगात
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरूवार को म.प्र. गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान म.प्र. गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि भी मौजूद रहे। सीएम ने जबलपुर जिले को बड़ी सौगात देते हुए कहा कि जबलपुर जिले के गंगईवीर में गौ-वंश वन विहार की स्थापना की जाएगी। उन्होंने कहा कि गंगईवीर में पशुपालन विभाग की 530 एकड़ भूमि में गौवंश विहार की स्थापना के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि यहां क्रमबद्ध तरीके से दो हजार गौ-वंश को आश्रय दिया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा है कि आगर मालवा जिले के सालरिया गौ अभयारण्य को देश के आदर्श के रूप में विकसित कर अखिल भारतीय स्तर पर सबसे अच्छा गौ-अभयारण्य बनाया जाए। उन्होंने सलाह दी कि अभयारण्य को विकसित करने के लिए राज्य के योग्य सामाजिक संगठन को इसकी जिम्मेदारी दी जाए। मुख्यमंत्री गुरूवार को मंत्रालय में मप्र गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड की समीक्षा बैठक की।
सेवाभाव से करें गौ-शालाओं को विकसित
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में गौ-शालाओं के विकास के लिए स्वयंसेवी संगठनों को कार्य दिया जाए। गौ-शालाओं का कार्य ही सेवाभाव हो और इसके लिए स्वयंसेवी संगठन ही सेवाभाव रखकर गौ-शालाओं को अच्छी तरह विकसित कर सकते हैं। उन्होंने निजी स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित गौ-शालाओं को अनुदान देने के निर्देश भी दिए। सीएम ने प्रदेश की 6 गौ-शालाओं को प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित करने के भी निर्देश दिए।
ज्यादा दूध के लिए नस्ल सुधार के हों प्रयास
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गौ-वंश एवं नंदी की नस्ल सुधार के विशेष प्रयास किए जाने जरूरी हैं। उन्होंने ज्यादा दूध देने वाले गौवंश पर अनुसंधान करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने गौ-उत्पादों की विक्री के लिए विशेष व्यवस्था बनाने व अधिकाधिक प्रचार-प्रचार करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गौ फिनायल का उपयोग शासकीय कार्यालयों में किया जाए। गौ-ग्रास के लिए कर लगाने संबंधी योजना तैयार करें और साथ ही जनभागीदारी को भी बढ़ावा दिया जाए।
प्रदेश में 2200 गौ-शालाएँ बनेंगी
समीक्षा बैठक में चर्चा की गई कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के पालन में प्रदेश में 2200 गौ-शालाएं बनाई जाएंगी। गौ-शालाओं के संचालन का कार्य समाजसेवी संस्थाओं को सौंपा जाएगा। सीएम ने कहा कि गौ अभयारण्य को गौ पर्यटन का केन्द्र बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए पर्यटन विभाग ने कार्य शुरू कर दिया है। प्रदेश में बंद किए 8 गौसदन फिर से प्रारंभ किए जाएंगे। मुख्यमंत्री चौहान ने मप्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड, मंडी बोर्ड आदि से प्राप्त राशि व व्यय की गई राशि का अनुमोदन किया। प्रदेश में 20वीं पशु संगणना के अनुसार एक करोड़ 87 लाख 50 हजार गौवंश हैं। बैठक में मप्र गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि के साथ मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि के सुझावों पर अमल की तैयारी
म.प्र. गौ-पालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि समय-समय पर गोशालाओं को आधुनिक युग के अनुरूप नवाचार विधि में ढालने की बात कहते रहे हैं। उनका मानना है कि गाय के दूध में सर्वाधिक पौष्टिक तत्व होते हैं। उसके गोबर और गोमूत्र के उत्पाद दूध से भी अधिक आर्थिक दृष्ट्या मूल्यवान हैं। अगर गोशालाओं में गाय के मूत्र से बना अमृत पानी और फिनाइल की भाँति गोनाईल बनाया जाए, तो ये मंहगा प्रोडक्ट हैं, जिनसे लाभ प्राप्त किया जा सकता है। गाय के गोबर की गैस से कुकिंग गैस, विद्युत उत्पादन और गोबर गैस प्लांट से वायो सीएनजी व गोबर गैस प्लांट से बची स्लरी से वर्मी कम्पोस्ट उत्तम किस्म की खाद है, जिसके गो उत्पाद की मार्केट वैल्यू दूध, दही, मही, घी, मक्खन आदि से अधिक है। किसान और गौशालाएं इनके माध्यम से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही वे संस्थाओं व पंचायतों से गौपालन की अपील भी कर चुके हैं। अब मप्र शासन भी उनके सुझाए उपायों पर अमल करने की तैयारी में हैं।

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