Homeताजा ख़बरG-20 : विदेशी प्रतिनिधियों से बोले CM- कोदो-कुटकी खाओ और स्वस्थ रहो

G-20 : विदेशी प्रतिनिधियों से बोले CM- कोदो-कुटकी खाओ और स्वस्थ रहो

इंदौर में जी-20, कृषि कार्य समूह की बैठक के अंतर्गत विभिन्न देशों की कृषि पद्धति, उत्पादों तथा जैविक उत्पादों की प्रदर्शनी का उद्घाटन

इंदौर। मध्यप्रदेश का कोदो-कुटकी आप यदि खा लें, तो आपको स्वास्थ्य के रूप में बहुत लाभ होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है। भारत के पारंपरिक मोटे अनाज ज्वार, बाजरा, कोदो, कुटकी में बहुत पोषण है। इनको हम धरती से खत्म न होने दें इसलिए भारत में अभियान चल रहा है।  प्रधानमंत्री ने भारत के मोटे अनाजों को श्री अन्न नाम दिया है। यह कहना है मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का। वे इंदौर में जी-20, कृषि कार्य समूह की बैठक के अंतर्गत विभिन्न देशों की कृषि पद्धति, उत्पादों तथा मध्यप्रदेश के जैविक उत्पादों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनी का उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे।
उत्तम खेती मध्यम वान, अधम चाकरी भीख निदान
शिवराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत G-20 की अध्यक्षता कर रहा है। हमारे यहाँ वसुधैव कुटुंबकम् की सोच हजारों साल पुरानी है। हम मानते हैं कि सारा विश्व ही हमारा परिवार है। खाद्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए हम कृषि योग्य भूमि का समुचित उपयोग भी करें और इसकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए सम्मिलित प्रयास भी करें। उत्तम खेती मध्यम वान, अधम चाकरी भीख निदान। भारत में खाद्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए खेती को सबसे उत्तम कार्य माना गया है। इसलिए भारत में एक बड़ी आबादी कृषि कार्य में लगी हुई है।
बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्य सुरक्षा महत्वपूर्ण विषय
सीएम ने कहा कि लगातार बढ़ती जनसंख्या के कारण खाद्य सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण विषय है। दुनिया का मात्र 12 प्रतिशत भू-भाग ही कृषि के योग्य है। वर्ष 2030 तक हमारी खाद्यान्न की मांग 345 मिलियन टन हो जाएगी। यदि हमें दुनिया के खाद्यान्न की आवश्यकताओं को पूरा करना है, तो हमें उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ नये विचारों का स्वागत और टेक्नोलॉजी का उपयोग करना होगा। मध्यप्रदेश में हम जीरो प्रतिशत की दर पर किसानों को कृषि ऋण उपलब्ध कराते हैं ताकि ब्याज का बोझ उसके सिर पर ना रहे। उत्पादन की लागत घटाने के लिए मध्यप्रदेश में एक नहीं अनेकों प्रयास किए गए हैं। अलग-अलग आवश्यकतानुसार कृषि का विविधीकरण का प्रयत्न हम कर रहे हैं। फूलों-फलों की खेती, सब्जी व औषधियों की खेती के साथ ही पशुपालन, मत्स्य पालन का प्रयास हम कर रहे हैं।
धरती की सेहत का ध्यान भी रखना जरूरी
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने के लिए हम केमिकल तथा फर्टिलाइजर का उपयोग कर रहे हैं जिससे न केवल धरती का स्वास्थ्य भी बिगड़ रहा है बल्कि मनुष्य का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। इसलिए प्रधानमंत्री जी ने प्राकृतिक खेती का अभियान छेड़ा है। मध्यप्रदेश जैविक खेती में नम्बर 1 है। यहाँ लगभग साढ़े 17 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती हो रही है। हमारे किसान गाय-भैंस के गोबर से बने खाद का उपयोग कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में इस साल 60 हजार किसानों ने प्राकृतिक खेती के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। मुझे विश्वास है कि जी-20 का यह सम्मेलन कृषि के क्षेत्र को आगे बढ़ाने में बहुत सहायक सिद्ध होगा। जी-20 समूह के कृषि प्रतिनिधियों की प्रथम बैठक में कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट, सांसद शंकर लालवानी जी और महापौर पुष्यमित्र भार्गव एवं अन्य गणमान्य जनप्रतिनिधि तथा विभिन्न देशों से पधारे प्रतिनिधि एवं अतिथि उपस्थित रहे।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments