Homeजबलपुररसूखदार आरटीओ संतोष पाल पर ईओडब्ल्यू मेहरबान.. बिशप पर रोज खुलासे

रसूखदार आरटीओ संतोष पाल पर ईओडब्ल्यू मेहरबान.. बिशप पर रोज खुलासे

ईओडब्ल्यू ने एफआईआर तो दर्ज की लेकिन पत्नी रेखा पॉल पर नहीं हुई कार्रवाई
जबलपुर। पिछले दिनों आरटीओ संतोष पॉल के ठिकाने पर ईओडब्ल्यू ने दबिश दी थी। पता चला कि उनके पास करोड़ों की संपत्ति है। एक-दो दिन और संतोष पॉल की रईसी के चर्चे हुए। शासन ने आननफानन में उन्हें निलंबित कर दिया और फिर क्या था मामला आया-गया हो गया। अब न तो आरटीओ के चर्चे हैं और न ही उनकी रईसी के। हां, ईओडब्ल्यू ने जिस बिशप पीसी सिंह के कारनामे हर दिन जरूर अखबारों में पढऩे मिल जाया करते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि एक ही तरह की कार्रवाई के दो पैमाने कैसे हो सकते हैं। जिस तरह बिशप ने गड़बड़झाला किया और जमीनों और संस्थाओं का दुरूपयोग किया, वह मामला तो गंभीर है ही। लेकिन आरटीओ रहे संतोष पॉल ने तो जनता की गाढ़ी कमाई से अपने लिए ऐशो-आराम जुटाए, प्रॉपर्टियां खरीदीं और करोड़ों रूपए घूस खाकर अपना जेब भरा। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होना चाहिए थी, संपत्ति जब्त होना चाहिए और जेल जाना चाहिए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। जाहिर है संतोष पॉल का रसूख काम आ गया और हो सकता है कि उन्हें रियायत मिल जाए और कुछ दिन बाद प्रदेश के किसी जिले का वह आरटीओ बन जाए?
एफआईआर हुए महीनों बीतेे
रेखा पॉल पर आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज हुए करीब साढ़े तीन माह का समय हो गया है। बावजूद इसके उनकी पत्नी रेखा पॉल आरटीओ में ही पदस्थ हैं। संतोष पॉल को तो सरकार ने हटा दिया, लेकिन रेखा पॉल पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनकी क्लर्क पत्नी रेखा पॉल अब भी कार्यालय में ही पदस्थ हैं। लगता है कि संतोष पॉल और रेखा पॉल पर परिवहन विभाग के आला अधिकारी मेहरबान हैं।
जीरो टॉलरेंस का क्या हुआ?
छापा पडऩे और एफआईआर दर्ज होने के बाद भी आरटीओ रहे संतोष पॉल और रेखा पॉल का मामला शांत हो गया है। वहीं जबलपुर आरटीओ आज भी भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है। आप खुद अंदाजा लगाईए कि दोनों की वैधानिक आय 73 लाख 26 हजार 53 होगी, लेकिन इनकी संपत्ति 4 करोड़ 80 लाख पाई गई। जनता का खून चूस-चूसकर आरटीओ संतोष ने 2 करोड़ 37 लाख तो तो रेखा ने 2 करोड़ 43 लाख रूपये की संपत्ति बनाई। इनके नाम पर फार्म हाउस से लेकर कई आलीशान मकान सहित अन्य संपत्तियों भी मिली हैं। अन्य शिकायतें भी ईओडब्ल्यू तक पहुंचीं, लेकिन लगता है जांच ठंडे बस्ते में जा चुकी है। महिला बाबू रेखा पॉल ने ढाई करोड़ रूपए की संपत्ति बना ली। ऐसे में सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस की नीति का क्या हुआ?

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