पूरा परिवार ही मानसिक दिव्यांग.. इलाज के लिए भटक रहे दर-दर
जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल अस्पताल में उस वक्त लोग आश्चर्य में पड़ गए, जब उन्होंने जंजीर से बंधे हुए एक युवक को इलाज के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हुए देखा। दरअसल यह युवक मानसिक रूप से दिव्यांग है और अक्सर आक्रामक होकर लोगों के साथ मारपीट करता है। इस वजह से परिवार के बाकी सदस्यों ने उसे जंजीर से बांध रखा है। खास बात यह है कि इस युवक का पूरा परिवार ही मानसिक दिव्यांगता का शिकार है। मेडिकल अस्पताल में अब सभी का इलाज किया जा रहा है।
सिवनी जिले के सिंदरादेही गांव में रहने वाले शिवचरण चौधरी उनकी पत्नी मीराबाई और दो बेटे लोकेश और रंजीत सभी मानसिक दिव्यांग है। मानसिक रूप से दिव्यांग लोकेश अक्सर आक्रामक हो जाता है लोगों के साथ मारपीट करने लगता है। घरों में तोडफ़ोड़ करता है इस वजह से उसके पैरों में बेडिय़ां डाल दी गई है। गरीबी की वजह से इस परिवार ने कभी भी शासकीय अस्पताल में जाकर इलाज नहीं कराया है। झाड़-फूंक की मदद से अपनी बीमारी को ठीक करने का प्रयास करते रहे हैं लेकिन दिन-ब-दिन हालत बिगड़ते चले गए। अब गांव वालों की मदद से उनकी रोजी रोटी का इंतजाम हो जाता है। इस परिवार की बीमारी को देखकर एक सामाजिक संगठन ने सीएम हेल्पलाइन में से मदद मांगी। तब इस परिवार को जबलपुर के मेडिकल अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया।
मेडिकल अस्पताल आए मानसिक रूप से दिव्यांग परिवार की मांग है कि उन्हें दिव्यांगता का मेडिकल सर्टिफिकेट दिया जाए लेकिन नियमों के आधार पर उनका दिव्यांगता सर्टिफिकेट तो नहीं बनाया गया लेकिन मेडिकल अस्पताल में उनका इलाज प्रारंभ कर दिया गया है। चिकित्सकों ने इस परिवार को आश्वासन दिया है की लगातार इलाज के बाद यह बीमारी ठीक हो जाएगी। सरकार ने गरीब मरीजों के मुफ्त इलाज के लिए व्यवस्था की है लेकिन इस परिवार की बात सुनने के बाद ऐसा लग रहा है कि सरकार की बेहतर स्वास्थ्य योजना की जानकारी दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों तक नहीं पहुंच पा रही है। ऐसी व्यवस्था को दुरुस्त करने की सख्त जरूरत है जिससे गरीब ग्रामीण ऐसी बीमारी का शिकार ना हो और यदि बीमारी हो भी जाती है तो उसका उन्हें निशुल्क इलाज भी मिल सके।