Homeजबलपुरबिजली की भी राशनिंग : साल में 12 बार तय होंगे बिजली...

बिजली की भी राशनिंग : साल में 12 बार तय होंगे बिजली के दाम

जबलपुर। एक तरफ दिल्ली, पंजाब समेत अन्य राज्यों में बिजली एक सीमा तक फ्री दी जा रही है, वहीं मध्यप्रदेश में बिजली कंपनी साल में 12 बार दाम तय करने की फिराक में है। अगर ऐसा हुआ तो पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर की तर्ज पर हर माह बिजली के दाम तय होंगे और उपभोक्ताओं की जेब कटेगी। बिजली वितरण कंपनियों ने खुदरा टैरिफ अधिनियम 2021 में संशोधन करवाने संबंधी याचिका पर जनसुनवाई हुई। मप्र विद्युत नियामक आयोग ने आनलाइन आपत्तिकर्ताओं को सुना। सात लोगों ने इस मामले पर आपत्ति की। बताया गया कि करीब 35 मिनट में सुनवाई पूरी हो गई। हालांकि आपत्तिकर्ताओं ने नियमों का हवाला देकर इस संशोधन को असंवैधानिक करार दिया। आपत्तिकर्ताओं का कहना है कि जब आयोग के माध्यम से साल में एक बार बिजली के दाम तय होते हैं, तो फिर वितरण कंपनियां साल में 12 बार क्यों दाम बढ़ाने का प्रस्ताव लागू करना चाहती हैं।

ज्यादा बिल जारी किया, तो यह भार उपभोक्ता पर आएगा

आपत्तिकर्ता एडवोकेट राजेंद्र अग्रवाल ने इस संशोधन को अवैधानिक बताकर कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 62 (4) के मुताबिक बिजली कंपनी ईंधन प्रभार समायोजन ही निर्धारित कर सकती है, लेकिन प्रस्तावित संशोधन में ईंधन प्रभार के साथ विद्युत खरीदी लागत व पारेषण शुल्क में हुए परिवर्तन पर भी सरचार्ज लगाने का प्रावधान है। संशोधन के पूर्व कंपनी को विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन करना होगा। इसके बाद नए याचिका पर विचार किया जा सकता है। फिलहाल याचिका रद्द करने योग्य है। विद्युत कंपनियां 12 बार संशोधन करेंगी तो आयोग का महत्व शून्य हो जाएगा। संशोधन लागू होने से भ्रष्टाचार बढ़ेगा। किसी बिजली उत्पादक कंपनी वितरण कंपनियों की मिलीभगत से यदि निर्धारित राशि से ज्यादा का बिल जारी किया, तो यह भार उपभोक्ता पर सीधा आएगा। ऐसे मामले में शासकीय धन का दुरूपयोग होगा। अधिकारियों पर भ्रष्टाचार करने के बाद भी उन पर आरोप नहीं लग पाएंगे।

हर माह बिजली के दाम बढ़ाए जा सकेंगे

डा. पीजी नाजपांडे ने कहा कि आयोग ने यह संशोधन जारी करने से पूर्व ही वर्ष 2023-24 के लिए दर निर्धारण की प्रक्रिया चालू कर दी है। 27 जनवरी को आए संशोधन के मुताबिक हर माह में बिजली के दाम बढ़ाए जा सकेंगे। डा. नाजपांडे ने साफ किया कि चूंकि यह मामला हाई कोर्ट में है, इसलिए आयोग की सुनवाई निरर्थक है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments