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एमपी में चुनाव से पहले दिग्विजय कम थे, जो औवेसी की एंट्री भी हो गई..

भोपाल। मप्र में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। भले ही अभी चुनाव में समय होने लेकिन माहौल धीरे-धीरे बनने लगा है। पहले भाजपा ने शिवराज को बुलडोजर मामा के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया। यह सब चल ही रहा था कि खरगोन में रामनवमी के दिन दंगे हो गए, जिससे पूरे प्रदेश का माहौल बिगड़ गया। भाजपा सरकार ने भी आव देखा न ताव और आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलव दिया, जिससे राजनीति गर्म हो गई है। इस आग में घी डालने का काम दिग्विजय सिंह ने किया। उन्होंने एक फर्जी फोटो ट्वीट किया तो भाजपा हमलावर हो गई। इतना भी काफी नहीं था कि एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी भी इसमें कूद पड़े। उन्होंने घर गिराए जाने को कानून के खिलाफ बताया। ट्वीट कर बार-बार कहा कि देखो मप्र में क्या हो रहा है। इसके जवाब में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि औवेसी वहीं से बैठे-बैठे चिल्ला रहे हैं। वहीं औवेसी को जवाब देते हुए गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि देश में 12 जगहों पर दंगे भडक़ना आम बात नहीं है, बल्कि सोची-समझी साजिश है। एसपी को गोली लगना, टीआई का सिर फूट जाना, बच्चे का आईसीयू में भर्ती होना विपक्ष को दिखाई नहीं दिया।
औवेसी और आप की एंट्री से किसको फायदा..?
मप्र में अगर औवेसी चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा के लिए यह सहज स्थिति होगी। वहीं कांग्रेस का गणित इससे जरूर बिगड़ जाएगा। वोटों को धु्रवीकरण हुआ तो भाजपा की राह आसान हो सकती है। वहीं कांग्रेस को खासा नुकसान उठाना पड़ सकता है। जैसा कि उप्र समेत पहले भी कई राज्यों में जहां औवेसी ने एंट्री मारी, वहां भाजपा को फायदा ही हुआ है। औवेसी के तीखे बोले, मुस्लिमपरस्त छवि भाजपा को सूट करती है। लेकिन इससे कांग्रेस का खेल बिगड़ जाता है। क्योंकि मुस्लिम वोट बंटे तो कांग्रेस को नुकसान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर आम आदमी पार्टी भी चुनाव में कूद पड़ी तो निश्चित ही कांग्रेस को वोटों का समीकरण पूरी तरह गड्डमगड्ढ हो जाएगा। यानि कि औवेसी और आप कांग्रेस के वोट काटेंगे और इससे भाजपा बड़ी आसानी से मैदान मारकर ले जाएगी। बहरहाल अब देखना होगा कि राजनीतिक गहमागहमी के बीच अभी और क्या कुछ होना है।

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