जबलपुर। साक्षी जाटव एवं तान्या जाटव ने अपनी दृढ़ता का परिचय देते हुए संघर्ष, लगन व आत्मविश्वास से न सिर्फ जबलपुर, मध्यप्रदेश बल्कि देश का नाम रोशन किया है। लेकिन इसे एक विडंबना ही कहेंगे कि इन सब के बावजूद ये गुमनाम हैं। साक्षी जाटव एवं तान्या जाटव ने खेल जगत में राज्य स्तरीय व अंतर राज्य खेल स्पर्धाओं में अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ी। साक्षी ने 23 वर्ष व तान्या ने 16 वर्ष में खेल वुशु को अपना लक्ष्य बनाया और तान्या जाटव ने तमाम राज्य स्तर स्पर्धाओं में अनेक मैडल अपने नाम किए। वहीं साक्षी जाटव ने राज्यस्तरीय स्पर्धाओं के अलावा अंतराष्ट्रीय स्पर्धा में देश का प्रतिनिधित्व कर चाइना व ब्राजील में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया। एक बेहद सामान्य परिवार से आने वाली दोनों छात्राओं ने विपरीत परिस्थितियों में जो कुछ भी हासिल किया वह अतुलनीय है। ये देश की युवा पीढ़ी को एक संदेश है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
आलोचनाओं को पीछे छोड़
तान्या व साक्षी ने बताया कि उन्होंने जब वुशू में अपना कैरियर बनाना चाहा तो उनकी राह में कई रोड़े थे। इसके अलावा उनकी आलोचना भी होती थी कि वे लड़कियां होकर यहां-वहां घूमते रहती हैं। समाज के साथ परिचित के लोग भी उनका उपहास उड़ाते थे। लेकिन जैसे-जैसे उन्होंने खेल में राज्य व देश का नाम रोशन किया, तो लोगों का नजरिया बदल गया। जो लोग पहले उन पर तंज कसते थे, वे अब तारीफ कर रहे हैं। घरवाले भी उन पर फख्र महसूस करते हैं और उनका सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
चाइना व ब्राजील में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया, अब गुमनाम
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