Homeजबलपुरगाय पशु नहीं है, बल्कि माता है, राष्ट्रीय प्राणी घोषित किया जाए:...

गाय पशु नहीं है, बल्कि माता है, राष्ट्रीय प्राणी घोषित किया जाए: अखिलेश्वरानंद गिरि

जबलपुर। मध्यप्रदेश गोसंवद्र्धन बोर्ड कार्यपरिषद के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि ने कहा कि गाय के शरीर की संरचना भले ही पशुओं की भाँति हो किंतु गाय के आंतरिक गुण मनुष्य से पर्याप्त तालमेल रखते हैं। सृष्टि का प्रत्येक प्राणी गोवंश से उपकृत है। इस कारण गायों को संसार के सभी ग्रन्थों, शास्त्रों, वेदोपनिषदों ने उसके आंतरिक गुणों एवं गाय के स्वभाव का गायन किया है। संसार के सभी देशों में गोपालन की स्वाभाविक प्रवृत्ति एवं गोवंश के प्रति अभिरुचि देखी गई है। यही कारण है कि गायों को माता का सम्मान जनक दर्जा दिया गया है। भारतीय धर्मग्रंथों में गाय के संबंध में उल्लेख है- गावो विश्वस्य मातर: गाय विश्व के प्रत्येक प्राणी की माता है। गोवंश (गायों) पर संसार के प्रत्येक देश में अन्वेषण हुये हैं। बहुविध अन्वेषण और शोध के आधार पर ही इस अबोल (मूक प्राणी) के वंश और विभिन्न प्रकार की प्रजातियों के संरक्षण तथा उसके जीवन की रक्षा एवं उसके संवद्र्धन का चिन्तन और सुविचार पूर्वक प्रबंधन किये जाने का समय-समय पर प्रत्येक देश, काल और परिस्थितियों पर मनन पूर्वक न्यायालयों, शासकों और प्रशासन के निर्देश जारी हुये हैं।
अखिलेश्वरानंद गिरि जी ने कहा कि गोवंश इस सृष्टि की ऐसी महनीय विधा है जिसका हर युग में परिरक्षण किया गया है। पराधीनता के कालखण्ड में हम आस्थावान, कालजयी भारतीय संस्कृति के उपासकों हम भारतीयों को चिढ़ाने और अपमानित करने के लिये परकीयों ने गायों और गोवंश का अपमान एवं उसे प्रताडि़त करना आरंभ किया। तभी से हम भारतीयों के पूर्वज गो आधारित संघर्ष करते रहे हैं और आज भी संघर्षरत हैं। विषय जब-जब भारतीय न्यायालयों में गायों एवं गोवंश को लेकर प्रकरण (वाद) संस्थित हुये हैं। स्वतंत्र भारत के न्यायलय (राज्यों के उच्चन्यायालय,या सर्वोच्च न्यायालय) सभी ने संवेदनशीलता के साथ और स्वतंत्र भारत के संविधान की गोवंश सम्बन्धी नीति (मंशा) के अनुरूप निर्णय और निर्देश (गाईडलाईन) दिये हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों किसी जमानत अर्जी पर विचार करते हुये उत्तरप्रदेश के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने गोवध के जुर्म में आरोपित की जमानत अर्जी खारिज करते हुये यह कहा कि-गाय एक जीवित प्राणी है। उसके वधकर्ता को जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। वह व्यक्ति जमानत पर छूट कर फिर वही अपराध कर सकता है। इसी निर्णय आदेश में गोवंश (गाय) से संबंधित अनेक महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को रेखांकित करते हुये माननीय न्यायाधीश ने जो टिप्पणी की और केंद्र शासन से भी अपेक्षा की है कि वह गाय को राष्ट्रीय प्राणी (राष्ट्रीय पशु) घोषित करे। इतना ही नहीं न्यायाधीश ने गाय को भारतीय मान्यपरंपरा और भारतीय संस्कृति का अहं हिस्सा और भारतीय जनमानस की भावनाओं के अनुरूप आस्था का केंद्र बताया। उत्तरप्रदेश के सम्माननीय न्यायालय ने भारतीय संविधान की मंशा के अनुरूप टिप्पणी की है। न्यायालय के इस दिशा निर्देश से गो प्रेमियों, गोभक्तों, गोपालकों में निश्चित रूप से उत्साहवद्र्धन हुआ है। और देश में गायों के प्रति सकारात्मक चिंतनशील जनों द्वारा उत्तर प्रदेश के उच्चन्यालय के उक्त निर्णय के आलोक में भारत में गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित करवाने की माँग समवेत स्वर में सर्वत्र उठी है। भारतवर्ष में केंद्र सरकार ने जैसे “गंगा नदी को बहुविध लाभ की दृष्टि से राष्ट्रीय जीवन्त इकाई माना है। मध्यप्रदेश सरकार ने भी प्रादेशिक नदी नर्मदा को जीवन्त इकाई माना है। इसी तर्ज पर गाय को (सम्पूर्ण गोवंश को) जीवंत इकाई घोषित कर उसे संरक्षणीय मानने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कि गाय यद्यपि पशु आकृति में जीवन्तप्राणी है किन्तु वह मनुष्यों की भाँति अखिलेश्वरानंद गिरि ने बताया कि वेदना, करुणा, वात्सल्य, ममता, दया, क्षमा, मैत्री, सहनशीलता जैसे मानवीय गुणों का साम्य संजोये हुये किसी पवित्र देव मंदिर की भाँति पूजनीय और प्रणम्य प्राणी है। अत: शासन, प्रशासन और आमनारिकों के द्वारा संरक्षणीय जीवन्त इकाई है। न्यायालय की उक्त टिप्पणी और निर्देश एक मील के पत्थर की भाँति है। आएं! हम सब मिलकर न्यायालय के निर्देश का अनुपालन और ह्रदय से समर्थन करें।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments