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MP : विधानसभा में कांग्रेस ने किया पुरानी पेंशन पर हंगामा, वित्तमंत्री ने इंकार किया तो वॉकआउट

  • पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा, कांग्रेस की सरकार बनेगी तो हम यह निर्णय करेंगे
  • नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा, सरकार कर्मचारी विरोधी है। इसलिए कांग्रेस वॉकआउट कर रही है

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधानसभा चुनाव की छाया स्पष्ट दिखाई दे रही है। चुनाव कुछ महीने ही दूर हैं तो कांग्रेस भी जनहित के मुद्दों पर आक्रामक है। वहीं भाजपा यह दिखाना चाहती है कि उसने बढ़िया काम किया है और जनहितैषी योजनाएं बनाई हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है और बुधवार को पुरानी पेंशन पर हंगामा हो गया। प्रश्नकाल के दौरान पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा के सवाल पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कह दिया कि पुरानी पेंशन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इस जवाब पर कांग्रेस विधायक सदन से वॉकआउट कर गए। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का कहना है कि हर सरकार कर्मचारियों से चलती है और अगर कर्मचारियों के साथ ही अन्याय हो तो कैसे सरकार चलेगी। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के जवाब के माध्यम से सरकार ने सदन में स्पष्ट कर दिया है कि पुरानी पेंशन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनेगी तो हम यह निर्णय करेंगे।
विकास यात्रा के लिए पैसे हैं… कर्मचारियों के लिए नहीं
पूर्व मंत्री व कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने सदन में कहा कि ये निर्दयी सरकार पुरानी पेंशन लागू करने में कोई निर्णय नहीं ले रही है। इनके मंत्री हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों से ज्ञापन लेकर आते हैं और उसे कूड़े के डब्बे में डाल देते हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने भी कहा कि सप्लीमेंट्री बजट में पुरानी पेंशन देने का कोई प्रस्ताव लाएंगे क्या। इस पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि सरकार के पास पुरानी पेंशन को लेकर कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आपके पास चीतों के लिए 3000 करोड़ हैं। विकास यात्रा के लिए पैसे हैं, लेकिन पुरानी पेंशन के लिए नहीं हैं? नेता प्रतिपक्ष ने इसके बाद कहा कि सरकार कर्मचारी विरोधी है। इसलिए कांग्रेस वॉकआउट कर रही है।
नेता प्रतिपक्ष का विधानसभा अध्यक्ष ने समर्थन किया
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने विभागों से पत्रों का जवाब नहीं आने का मुद्दा उठाया और पटवा की सरकार के बाद से ये परंपरा खत्म हो गई हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी आदेश की धज्जियां उड़ा रहे। पत्रों का जवाब नहीं देते। विधानसभा अध्यक्ष ने भी नेता प्रतिपक्ष की बात का समर्थन किया और कहा कि पत्रों के जवाब नहीं आते। अध्यक्ष ने सरकार से कहा कि सामान्य प्रशासन विभाग को ताकीद करें कि वे विधायको के पत्रों का जवाब दें।

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