चंबल नदी के 435 वर्ग किमी में चंबल घडिय़ाल सेंक्चुरी, 115 से ज्यादा स्थानों पर अवैध उत्खनन चंबल नदी के 5 घाटों को रेत खदान बनाने मप्र सरकार ने दी सहमति

चंबल संभाग में चंबल नदी के हर वर्ष बड़ी मात्रा में रेत का अवैध उत्खनन होता है। इससे रेत माफिया तो मालामाल हो रहे हैं, लेकिन सरकार को नुकसान हो रहा है। इस पर अंकुश लगाने के लिए मप्र सरकार चंबल नदी के पांच घाटों को रेत खदानें बनाने के लिए सहमत हो गई है। इन पांच रेत की खदानों में दो-दो मुरैना व श्योपुर जिले में होगी, जबकि भिंड जिले में एक घाट को रेत खदान बनाने के लिए सरकार ने सहमति दे दी है। मप्र सरकार की सहमति के बाद यह प्रस्ताव भारत सरकार के पास भेजा गया है। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद चंबल नदी से रेत उत्खनन पर सरकार को भी करोड़ों के राजस्व की प्राप्ति होगी।
रेत खनन पर है रोक
श्योपुर से मुरैना और भिंड जिले तक चंबल नदी के 435 वर्गकिलोमीटर में चंबल घडिय़ाल सेंक्चुरी है, जहां रेत के उत्खनन पर रोक है, इसके बाद भी तीनों जिलों में 115 से ज्यादा स्थानों पर रेत का अवैध उत्खनन होता है। अवैध रेत के कारण कइयों अधिकारी-कर्मचारियों से लेकर राहगीरों की जान रेत माफिया ले चुके हैं। इसी साल 13 जून वन विभाग के कर्मचारियों की गोली से नगरा थाना क्षेत्र के अमोलपुरा गंाव के किसान महावीर सिंह की मौत हो गई थी। 8 वनकर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज हुआ, लेकिन इस घटना ने चंबल नदी किनारे रेत खदान शुरू करने की मांग छेड़ दी थी। केंद्रीय मंत्री व क्षेत्रीय सांसद नरेन्द्र सिंह तोमर ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर चंबल नदी कि कुछ घाटों को रेत खदान की लीज देने की मांग की, जिससे लोगों को रोजगार, सरकार को राजस्व मिले और रेत के अवैध उत्खनन व इससे होने वाले अपराधों पर अंकुश लगे।
इन घाटों में रेत खनन की अनुमति मिलेगी
चंबल घडिय़ाल सेंक्चुरी के प्रस्ताव के बाद वन्यजीव प्राणी संस्थान मप्र बोर्ड की बैठक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई थी। इस बैठक में चंबल नदी के जिन पांच घाटों को रेत खदान बनाने की अनुमति दी है, उनमें मुरैना जिले के राजघाट- पिपरई और बरवासिन घाट को चुना गया है। वर्तमान मेें इन्हीं दोनों घाटों से रेत का सबसे अधिक अवैध उत्खनन हो रहा है। श्योपुर जिले में दलारना और बड़ौदिया बिंदी के घाटों को चुना गया है। जबकि भिंड जिले में चंबल नदी के बड़ापुरा घाट को रेत की खदान देने के लिए सरकार ने चुना है।
अब गेंद केंद्र के पाल में
435 वर्ग किलोमीटर चंबल घडिय़ाल सेंक्चुरी में पांच जगहों को रेत खदान बनाने के लिए चुना था, जिस पर मप्र सरकार ने सहमति दे दी है। अब यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा गया है। केंद्र सरकार की अनुमति मिलने के बाद श्योपुर, मुरैना में दो-दो व भिंड में एक घाट पर रेत खदान दे दी जाएगी। हालांकि इसमें छह महीने से एक साल का समय लग सकता है।

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