Thursday, June 8, 2023
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चैत्र नवरात्रि : मां शैलपुत्री ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था कठोर

चैत्र नवरात्रि : मां शैलपुत्री ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था कठोर
मां शैलपत्री को पूजा में सफेद फूल अर्पित करें और सफेद वस्‍तुओं का भोग लगाएं
जबलपुर। माता जगतजननी की आराधना का पर्व चैत्र ​नवरात्रि आज से शुरू हो गए हैं। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्‍थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के नाते शैलपुत्री कहा गया है। उनकी पूजा में सफेद फूल अर्पित किए जाते हैं और उन्‍हें सफेद वस्‍तुओं का भोग लगाया जाता है। मां शैलपुत्री माता पार्वती का रूप हैं और उन्‍होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इसके बाद उन्‍हें शिवजी जैसा वर प्राप्‍त हुआा। माना जाता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से सुयोग्‍य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
मां शैलपुत्री को इन मानों से भी जाना जाता है
मां शैलपुत्री को सती, हेमवती और उमा के नाम से भी जाना जाता है। मां का वर्ण श्‍वेत है और उन्‍होंने श्‍वेत रंग के वस्‍त्र धारण किए हुए हैं। मां शैलपुत्री की सवारी बैल है। उनके दांए हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल शोभायमान है। मां का यह स्‍वरूप सौम्‍यता और स्‍नेह‍ का प्रतीक माना जाता है।
यह है मां शैलपुत्री की पूजाविधि
नवरात्रि के पहले दिन स्‍नान कर लें और स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। मंदिर की साफ-सफाई करें और लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की मूर्ति या फिर तस्‍वीर को उस पर स्‍थापित करें। कलश स्‍थापना करके मां शैलपुत्री का व्रत करने का संकल्‍प लें। मां शैलपुत्र की रोली, चावल और फूल से पूजा करें। मां को नए वस्‍त्र अर्पित करें और फिर धूप व दीप से आरती करें। शैलपुत्री माता की कथा पढ़ें, मंत्र और पढ़ें और भोग लगाएं। दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करें। शाम को भी ऐसे की मां शैलपुत्री की पूजा करें।
मां शैलपुत्री का प्रिय भोग
मां शैलपुत्री का वर्ण श्‍वेत है और उन्‍हें सफेद रंग की वस्‍तुएं सबसे प्रिय हैं। पूजा में सफेद फूल अर्पित करने के साथ ही सफेद वस्‍तुओं और दूध से बनी मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। मिसरी या फिर बताशे का भी भोग मां को अर्पित कर सकते हैं। शाम की पूजा के बाद मखाने की खीर का भोग लगा सकते हैं।

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