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जंक या फास्ट फूड से परहेज करें.. वरना ये खतरनाक बीमारी होना तय

जबलपुर। सीने में दर्द, चलने-फिरने में सांस फूलना, घबराहट या पसीने-पसीने हो रहे हैं, अचानक धड़कन बढ़ जाती है.. चक्कर आते हैं तो अलर्ट हो जाएं। क्योंकि ये हृदय रोग के लक्षण हैं। अगर इस बीमारी से बचना है तो जंक या फास्ट फूड से परहेज करें। फल और हरी सब्जियों का ज्यादा सेवन करें। भोजन में नमक, घी और तेज मसालों का प्रयोग कम करें। रोजाना सुबह-शाम पैदल घूमें। यह सब बताया गया एंडो डायलॉग के आयोजन में जो शान एलेजा होटल में 18 एवं 19 मार्च को हुआ। राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ ज्ञानेश्वरी दीदी और पूर्व मंत्री विधायक अजय विश्नोई ने किया। संगोष्ठी में डायबिटीज थायराइड मोटापा और हार्ट की नवीनतम इलाज पद्धति की जानकारी दी गई। देश के करीब-करीब 40 से 50 डॉक्टर ने अपने शोध प्रस्तुत कि। यह चिकित्सक अपने देश की ही नहीं पूरे देश और विश्व में अपने रिसर्च स्टडी प्रस्तुत कर चुके हैं। यह संस्कारधानी के लिए बहुत ही गौरव की बात है।

डायबिटीज एवं हारमोंस रोग विशेषज्ञ डॉ अभिषेक श्रीवास्तव डॉ परिमल स्वामी ने इस संगोष्ठी का आयोजन सफलतापूर्वक किया और उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन आगे भी निरंतर होते रहेंगे ताकि हमारे संस्कारधानी के डॉक्टर नई से नई तकनीक के बारे में जानेंगे। ह््रदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पुष्पराज पटेल ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति थायरॉइड या फिर डायबिटीज से पीड़ित हो, तो उस व्यक्ति के लिए डायबिटीज की नियमित तौर पर जाँच कराना अनिवार्य है, ताकि दूसरी बीमारी का शुरुआत में ही पता चल सके और सही समय पर इलाज किया जा सके। अगर इनमें से किसी एक बीमारी के नियंत्रण पर अच्छी तरह ध्यान नहीं दिया जाए, तो दूसरी बीमारी को नियंत्रित कर पाना बेहद कठिन हो सकता है। डायबिटीज और हारमोंस से अनियंत्रित होने पर हार्टअटैक के बारे में उपस्थित सभी को जानकारी दी.हालांकि हृदय रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन, अब कम उम्र वालों को भी अटैक आ रहे हैं। क्योंकि ऐसे लोग फिजिकल वर्क अथवा व्यायाम कम करते हैं। हाइपरटेंशन, मधुमेह, थायराइड रोगियों में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा हैं।\

वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पुष्पराज पटेल जी के मुताबिक अब 30 से 40 वर्ष के युवाओं में हार्ट अटैक बढ़ रहा है। पहले यह सामान्यतः 50 वर्ष के बाद होता था। इसलिए 30 साल के बाद ही हर व्यक्ति को अपना रूटीन चेकअप करवाते रहना चाहिए। क्योंकि नसों में खून का थक्का जम जाता है, नसें ब्लॉक होने और तत्काल उपचार नहीं मिलने से हार्ट अटैक के कारण रोगी की मौत तक हो सकती है। 20 से 30 प्रतिशत मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें हार्ट अटैक आने से 15-20 दिन में कोई ना कोई तनाव रहा होता है। इस अवसर पर डॉ ऋतू श्रीवास्तव, डॉ कावेरी शॉ पटेल,डॉ हर्षा रेड्डी, डॉ अजय भंडारी, डॉ अंजनेय मिश्रा, हेमन्त बड़गैया, लोकेश जैन आदि उपस्थित थे।

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