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वर्ष प्रतिपदा के ही दिन अस्तित्व में आई थी अवंतिका नगरी, तीनों लोकों से है न्यारी

  • उज्जैन में ’उज्जैन गौरव दिवस’-विक्रमोत्सव 2023 व राष्ट्रीय सम्मान अलंकरण समारोह का मुख्यमंत्री ने किया शुभारंभ
  • भारत का योग, विज्ञान, अध्यात्म और श्री महाकाल महालोक पूरी दुनिया में छाया हुआ है : शिवराज

उज्जैन। हमारा भारत अत्यंत प्राचीन और महान राष्ट्र है। हजारों साल हमारा ज्ञात इतिहास है और उतनी ही प्राचीन हमारी यह अवंतिका नगरी है। आज नव संवत्सर सृष्टि के निर्माण का पावन दिवस भी है। वर्ष प्रतिपदा के ही दिन अपनी अवंतिका नगरी अस्तित्व में आई थी। अवंतिका नगरी तीनों लोकों से न्यारी है। यहाँ महाकाल मंदिर, हरसिद्धि माता मंदिर, भोपाल मंदिर, काल भैरव, गढ़कालिका देवी हैं। यह कहना है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का। उन्होंने ’उज्जैन गौरव दिवस’-विक्रमोत्सव 2023 एवं राष्ट्रीय सम्मान अलंकरण समारोह का दीप प्रज्वलन व महाराजा विक्रमादित्य जी के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर शुभारंभ किया। सीएम ने कहा कि यहाँ आकर अद्भुत अनुभव होता है। मैं तो जब भी यहां आता हूं, तो भाव-विभोर हो जाता हूं। एक पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक नगरी है उज्जैन।
पुराणों में भी वर्णन
शिवराज ने कहा कि ब्रह्मपुराण में उज्जैन का वर्णन सबसे उत्तम नगर के रूप में किया गया है। अग्निपुराण में इसे मोक्षदा कहा गया है। सम्राट विक्रमादित्य जी ने जो संवत प्रारंभ किया उसे आज भी पूरा भारत मानता है। हमारा नववर्ष वर्ष प्रतिपदा गुड़ी पड़वा है। हम अपने नए साल को धूमधाम से मना पाएं इसके लिए हमने तय किया कि गुड़ी पड़वा के दिन अवकाश रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक नए भारत का उदय हो गया है। पूरी दुनिया पुनः भारत की ओर लौट रही है।
श्री महाकाल महालोक पूरी दुनिया में छाया हुआ है
सीएम ने कहा कि भारत का योग, विज्ञान, अध्यात्म और श्री महाकाल महालोक पूरी दुनिया में छाया हुआ है। श्री महाकाल महालोक अद्भुत और अलौकिक है। श्री महाकाल महालोक के द्वितीय चरण का काम भी तेजी से चल रहा है। जुलाई के अंत का यह बनकर तैयार हो जाएगा और श्री महाकाल महालोक का परिसर 4 गुना बढ़ जाएगा।
महान भारत व आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में योगदान दें
शिवराज ने कहा कि हम अपने जीवन मूल्यों, परंपराओं, धर्म, संस्कृति और संस्कारों को न भूलें। उन्हें याद रखते हुए एक महान भारत तथा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के निर्माण में अपना योगदान दें। हम अपनी संस्कृति को पुनर्स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। ओरछा में रामराजा लोक, चित्रकूट में वनवासी भगवान राम लोक, सलकनपुर में देवी महालोक और सागर के पास ₹100 करोड़ की लागत से संत रविदास जी का भव्य मंदिर बनाया जा रहा है।

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