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हजारों वर्षों तक कठिन तपस्या के कारण नाम पड़ा ब्रह्मचारिणी, जानें मां की महिमा

जबलपुर। आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है और इस दिन भक्त मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा करते हैं। शास्त्रों में बताया गया कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया था। उन्होंने महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। इस तपस्या की अवधि में इन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यंत कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्र के दूसरे दिन उनके इसी रूप की पूजा की जाती है।
ऐसे करें पूजन तो मां होंगी प्रसन्न
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है। मां के नाम से ही उनकी शक्तियों का वर्णन मिलता है। ब्रह्म का अर्थ तपस्या और चारिणी का अर्थ आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी को नमन करते हैं। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करने से लंबी आयु, आत्मविश्वास, सौभाग्य आरोग्य, अभय की प्राप्ति होती है। माता का यह स्वरूप बताता है कि जीवन में कठिन से कठिन समय में भी मनुष्य को अपने पथ से विचलित नहीं होना चाहिए।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
नवरात्रि के दूसरे दिन पूजे जाने वाली माता ब्रह्मचारिणी को ब्राह्मी भी कहा जाता है। यह आयु और स्मरण शक्ति बढ़ाने वाली और रूधिर विकारों को नाश करती हैं और शांति प्रदान करती हैं। मां ब्रह्मचारिणी सृष्टि के समस्त चर और अचर जगत की विघाओं की ज्ञाता है। इनका स्वरूप श्वेत वस्त्र में लिपटी हुई कन्या के रूप में हैं। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अष्टदल की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। मां समस्त ज्ञान और तंत्र-मंत्र आदि से संयुक्त हैं और भक्तों को सर्वज्ञ संपन्न विघा देकर विजयी बनाती हैं। मां का स्वरूप सादा और भव्य है और ज्ञान उतना ही विशाल। उनके पूजन से मां पार्वती के कठिन तप को मन में रखते हुए संघर्ष करने की प्रेरणा प्राप्त होती है।
यह है पूजा की विधि

  • पहले दिन की तरह ही मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में पीले या सफेद रंग के वस्त्र का उपयोग करें।
  • माता का पंचामृत से अभिषेक करें और फिर रोली, अक्षत, चंदन, आदि पूजा की चीजें अर्पित करें।
  • माता को गुलदाउदी का फूल अर्पित करें और दूध से बनी चीजों का भोग लगाएं और पूरे परिवार के साथ माता के जयकारे लगाते रहें।
  • माता को पानी सुपारी भी भेंट करें और फिर कलश व नवग्रह की पूजा करें। घी के दीपक और कपूर से माता की आरती उतारें और दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  • नवरात्र के इस दूसरे दिन मां भगवती को चीनी का भोग लगाने का विधान है। चीनी के भोग से उपासक को लंबी आयु प्राप्त होती है और वह निरोगी रहता है तथा उसमें अच्छे विचारों आते हैं।
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