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क्या फिल्मों में जानबूझकर दी जाती है विवादों को हवा.. ताकि मिल जाए फ्री का प्रचार

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जबलपुर। पठान के बेशरम रंग गाने को लेकर भगवाधारियों का बवाल जारी है। 23 जनवरी को शाहरूख खान और दीपिका की फिल्म पठान रिलीज होगी। दरअसल बेशरम रंग..गाने में दीपिका ने भगवा रंग के भडक़ाऊ कपड़े पहने तो विरोध शुरू हो गया। इस पहले भी माई नेम इज खान, पद्मावती, जोधा-अकबर, पीके, ओएमजी विवादों में घिरीं और सुपरहिट हुईं। सवाल यह उठता है कि क्या विवादों को जानबूझकर हवा दी जाती है, ताकि फिल्म सुपरहिट हो जाए। इससे पहले भी ओटीटी प्लेटफार्म में कई ऐसी फिल्में या कंटेंट रहे हैं, जिन्हें जानबूझकर आश्रम वेब सीरीज हो या काली या फिर कोई और.. यह सौदा निर्माता-निर्देशकों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ है। कहते भी हैं कि बदनाम हुए तो क्या नाम नहीं हुआ। यही बात सभी बवाली फिल्मों पर सही साबित होती दिखती है।
ये फिल्में घिरी विवादों में, हुईं हिट
जब भी फिल्म विवादों में घिरी तो यह तय मानिए कि वह हिट भी रही है। इससे पहले माई नेम इज खान, पद्मावती, अकबर-जोधा, पीके, बजरंगी भाईजान, ओएमजी, .. समेत और भी कई फिल्में हैं, जो विवादित होने के कारण हिट हो गईं। पद्मावती फिल्म पर तो राजस्थान से लेकर कई प्रदेशों में बवाल हुआ, तोडफ़ोड़ हुई और निर्देशक संजय लीला भंसाली के चेहरे पर कालिख भी पोती गई, लेकिन जब फिल्म रिलीज हुई तो सुपर-डुपर हिट हो गई। हां, संजय लीला भंसाली ने फिल्म से आई हटा दिया तो यह फिल्म पद्मावती से पद्मावत हो गई। कुछ ऐसा ही माई नेम इज खान के साथ भी हुआ। बवाल अमेरिका में हुआ और इसका पूरा फायदा फिल्म को हिंदुस्तान में मिला।
बैन होगी या हो जाएगी कंप्रोमाइज
आईए आपको बताते हैं कि 23 जनवरी 2023 को रिलीज होने वली फिल्म पठान पर आखिर क्यों हंगामा बरपा हुआ है। दरअसल इसका एक गाना बेशरम रंग.. हिंदूवादी संगठनों को रास नहीं आ रहा है। इस पर भी फिल्म की एक्ट्रेस ने भगवा रंग के भडक़ाऊ कपड़े पहने हैं। तो फिर क्या था हिंदूवादी संगठनों का गुस्सा भडक़ उठा। राजनेताओं से लेकर संतों को भी यह बात नागवार गुजरी। भले ही फिल्म या गाने का मकसद किसी की भावनाएं भडक़ाना न हो, लेकिन लोगों ने तो शाहरूख खान की इस मूवी का विरोध करना शुरू ही कर दिया है। मप्र के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी कह चुके हैं कि इस फिल्म को मप्र में रिलीज होने नहीं दिया जाएगा। हो सकता है अन्य प्रदेशों में भी इसी तरह के कदम उठाए जाएं। या फिर यह भी हो सकता है कि बिना पैसा खर्च किए भरपूर प्रचार मिलने के बाद निर्माता-निर्देशक ही वह सीन हटा दें। लेकिन तब तक हर किसी के मन में यही रहेगा कि आखिर फिल्म में है.. चलो देखने चलें।

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